अपने चरणों की धूलि बना लो
अपने चरणों की धूलि बना लो
हे त्रिपुरारी हे बनवारी
अभिलाषा पूरी करो मेरी
चरण कमल जाऊं बलिहारी
निर्मल , पावन हो मेरी काया
अहंकार की पड़े ना छाया
मेरा भाग्य बनाओ बनवारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी
सलिला सा पावन हो जीवन
रत्नाकर सा हो मेरा मन
बैरागी सा हो अंतर्मन
राग भक्ति का जगाओ गिरिधारी
शुभचिंतक हो जाऊं सबका
दास बनूँ मैं तेरे दर का
सूर्य सा तेज भरो हे मुरारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी
वायु सा पावन मुझे कर दो
मुझको ज्ञान का वर दो
हंसवाहिनी कृपा करे बनवारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी
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