Monday 1 September 2014

अपने चरणों की धूलि बना लो

अपने चरणों की धूलि बना लो

अपने चरणों की धूलि बना लो
हे त्रिपुरारी हे बनवारी
अभिलाषा पूरी करो मेरी
चरण कमल जाऊं बलिहारी

निर्मल , पावन हो मेरी काया
अहंकार की पड़े ना छाया
मेरा भाग्य बनाओ बनवारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी

सलिला सा पावन हो जीवन
रत्नाकर सा हो मेरा मन
बैरागी सा हो अंतर्मन
राग भक्ति का जगाओ गिरिधारी

शुभचिंतक हो जाऊं सबका
दास बनूँ मैं तेरे दर का
सूर्य सा तेज भरो हे मुरारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी

वायु सा पावन मुझे कर दो
मुझको ज्ञान का वर दो
हंसवाहिनी कृपा करे बनवारी
हे त्रिपुरारी हे बनवारी



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