सादगी पर तेरी हम मर मिटे कुछ इस तरह
सादगी पर तेरी हम. मर मिटे कुछ इस तरह
खो गया दिन का चैन , रातों का करार
ख्वाहिश है तू हो. मेरी बाहों का हार
कर रहा हूँ हर पल ,तेरा इंतज़ार
मेरी तनहा रातों को जो तू ,रोशन कर दे
तेरे नयनों की छाँव में ,दो पल सुकून के गुज़ार सकूं
मेरे सपनों में आ , पल दो पल के लिए
तेरे काँधे पर सर रखकर , दो पल सुकून के गुज़ार सकूं
तारीफ़ तेरी क्या करूं, ऐ मेरी जाने जिगर
कुछ ऐसा कर छंट जाए ,काले बादलों का सफर
करम हो उस खुदा का, जो तेरा दीदार करूं
बेशक तसव्वुर में ही, तू मुझको आए नज़र
तेरे दीदार की आस में ही जी रहा हूँ मैं
ये बेरहम दुनिया तुझको मुझसे दूर करे
पा ही लूँगा तुझको एक दिन जाने जाँ
चाहे वो दिन मेरे लिए क़यामत की रात बने
सादगी पर तेरी हम. मर मिटे कुछ इस तरह
खो गया दिन का चैन , रातों का करार
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