Tuesday, 16 September 2014

शिक्षा पर सद्विचार

शिक्षा पर सद्विचार

शिक्षा जब निर्बल को सबल बनाने लगे
शिक्षा जब आकार और निराकार का भेद समझाने लगे
शिक्षा जब आस्तिक और नास्तिक का फर्क बताने लगे
समझो शिक्षा, संस्कृति और संस्कारों के प्रसार का केंद्र बिंदु हो गई है

शिक्षा गर मानव मूल्यों का विस्तार करने लगे
शिक्षा गर उत्थान की और ले जाने लगे
शिक्षा गर परम तत्व में विश्वास जगाने लगे
समझो शिक्षा , व्यवसायिकता का मार्ग त्याग चुकी है

शिक्षा गर मूल्यों का आधार हो  जाती
शिक्षा गर अंधविश्वास से परे ले जाती
शिक्षा गर श्रेष्ठ विचारों का समंदर हो जाती
हम ये पाते शिक्षा अपने उद्देश्य में सफल हो गई है

शिक्षा गर नास्तिक को आस्तिक कर पाती
शिक्षा गर सुविचारों से तृप्त कर पाती
शिक्षा गर दार्शनिक विचारों को प्रेरित करती
हम समझते शिक्षा अपनी पावनता के चरम पर शीर्षस्थ  है

शिक्षा जो शिक्षा का अर्थ समझने लगे
शिक्षा जो शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने लगे
शिक्षा जो स्वयं से स्वयं का परिचय प्राप्त करने लगे

समझो शिक्षा समाज का भविष्य उज्जवल है 

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