Wednesday, 15 March 2017

जिन्दगी से हो गयी जिन्हें नफ़रत

जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत

जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत
मधुशाला को अपना आशियाँ कर लिया.|

डुबोकर मधुरस की दुनिया में खुद को
जिन्दगी की परेशानियों से किनारा कर लिया |

मधुशाला से रिश्ता रखने वाले
जीवन कहाँ जिया करते हैं |

पीते हैं घूँट - घूँट मौत की
जीवन का अंत जिया करते हैं |

पत्र - पत्र घूँट - घूँट पर मरने वाले
जीवन से रिश्ता कहाँ रखते हैं |

सोमरस पर मरने वाले
खुद की परवाह कहाँ करते हैं |

जीते हैं बोतल की खातिर
मरते हैं बोतल की खातिर |

दुनिया मैं कीड़ों से रैंगते
दुनिया की परवाह कहाँ करते हैं |

जीवन इनका मधुशाला है.
ये देवालय की बात कहाँ करते हैं|

रिश्ते - नाते सब बेगाने
खुद से भी ये रिश्ता कहाँ रखते हैं

जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत
मधुशाला को अपना आशियाँ कर लिया.|

डुबोकर मधुरस की दुनिया में खुद को
जिन्दगी की परेशानियों से किनारा कर लिया ||





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