जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत
जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत
मधुशाला को अपना आशियाँ कर लिया.|
डुबोकर मधुरस की दुनिया में खुद को
जिन्दगी की परेशानियों से किनारा कर लिया |
मधुशाला से रिश्ता रखने वाले
जीवन कहाँ जिया करते हैं |
पीते हैं घूँट - घूँट मौत की
जीवन का अंत जिया करते हैं |
पत्र - पत्र घूँट - घूँट पर मरने वाले
जीवन से रिश्ता कहाँ रखते हैं |
सोमरस पर मरने वाले
खुद की परवाह कहाँ करते हैं |
जीते हैं बोतल की खातिर
मरते हैं बोतल की खातिर |
दुनिया मैं कीड़ों से रैंगते
दुनिया की परवाह कहाँ करते हैं |
जीवन इनका मधुशाला है.
ये देवालय की बात कहाँ करते हैं|
रिश्ते - नाते सब बेगाने
खुद से भी ये रिश्ता कहाँ रखते हैं
जिन्दगी से जिन्हें हो गयी नफ़रत
मधुशाला को अपना आशियाँ कर लिया.|
डुबोकर मधुरस की दुनिया में खुद को
जिन्दगी की परेशानियों से किनारा कर लिया ||
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