Monday, 18 April 2016

तेरे सपनों को मिलेगा खुला आसमां

तेरे सपनों को मिलेगा खुला आसमां

तेरे सपनों को मिलेगा खुला आसमां
खुद को बुलंद कर इंतना

तेरे प्रयासों को मिले रहें
अपनी कोशिशों पर खुद को कर समर्पित इतना

तेरे मकसद को खुदा का करम हो नसीब
अपनी कोशिशों की बुलंद कर इतना

तेरे कदमों की जीनत होंगे  सपने तेरे
खुद पर एतबार कर इतना

फूल खिलेंगे तेरी भी राहों में 
अपने प्रयासों को दे आससां इतना

सफलता की खुशबू से महकोगे तुम भी 
अपने मकसद को दिल में सजाये रखना इतना

अकेले चलकर ही मिलेगी मंजिल तुझको
इस एहसास से खुद को रबरू कर इतना

महंगे तेरे प्रयास ,तेरे सपने बनकर
खुद पर भरोसा करना इतना

बागों में आएगी बहार एक दिन
अपने प्रयासों से खुद को सींचना इतना

उपवन तेरी कोशिशों का रोशन होगा एक दिन
खुद से खुद का परिचय कर इतना

तेरे सपनों को मिलेगा खुला आसमां
खुद को बुलंद कर इंतना

तेरे प्रयासों को मिले रहें
अपनी कोशिशों पर खुद को कर समर्पित इतना



सिसकती साँसों का व्यापार न कर

सिसकती साँसों का व्यापार न कर

सिसकती सांसों का व्यापार न कर
गमगीनों को तू और गमसार न कर

एतबार किये बैठे हैं जो तुझ पर  
उनके विश्वास को तू तार-तार न कर

बेचैन सॉसों के साथ जी रहे हैं वो
उनकी बेचैन जिंदगी को और बेचैन न कर

'बेक़सूर हैं वो उन्हें तुझ पर है यकीन
उनके इस यकीन को तू तार-तार न कर.

बेसुध से धो रहे हैं वो खुद को
'बदनसीब कह उनको रुसवा न कर

बंदगी उनका ईमान हो जाए.
इतना तो उन पर करम कर

आदिल कर तू उनको अपना बना
इश्क़े -इबादत उनकी जागीर कर

बदनसीब हैं वो , कया यहीं कम हैं
उनका दामन खुशियों से भर

जिंदगी के अँधेरे साथ लिए जी रहे हैं वो
उनका आशियों भी जन्नत सा रौशन कर

उन्हें मुहब्बत है तुझसे, ये इज़हार करें भी तो कैसे
कोई तरकीब मेरे मौला , उनको भी अता कर.



Friday, 15 April 2016

चंद लम्हे तेरी आगोश में गुजर हों

चंद लम्हे तेरी आगोश में गुजर हों

तेरी  मुस्कराहट को अमानत कर लूं , नसीब हो जाए मुझे जीते-जी जन्नत
चंद लम्हे तेरी आगोश में हों गुजर  , जिंदगी मेरी खूबसूरत हो जाए

उस आसमानी खुदा ने तुझे यूं ही नहीं बनाया , हुस्न की मल्लिका
तेरी  ये खूबसूरत हंसी ,मेरे दिल का करार हो जाए.

आहिस्ता--आहिस्ता तुझे दिल के करीब कर लूं,
मेरी मुहब्बत पर तुझे , जो एतबार हो जाए.

तेरे  इखितयार में  है तू मुझे कबूल करे या न करे
मेहरबान जो तू हो , आशियाँ मैरा रौशन हो जाए
.
नशा तेरे हुस्न का,मेरे  दिल से न उतरे ताउम्र 
तुझसे निस्बत मेरे दिल की जागीर हो जाए

तेरी  पाकीजगी , मेरे  इश्क का हो मरहम
तेरी  आगोश में मेरी शामो-शहर हो जाए

मुझे एहसास है ,तुझे पसंद है मेरी बेताबी 
मेरी  ये आरजू, मुझे तेरा दीदार हो जाए.

मेरी आरजु है मैं रे इश्क का फ़रिश्ता हो जाऊं
तुझे खवाल है हमारी मुहब्बत, फ़साना न हो जाए

मेरी कोशिश है मेरी मुहब्बत फ़साना न हो जाए.
तेरी  भी खवाहिश है, हमारी मुहब्बत बेआबरू न हो जाये

बेखबर है ये ज़माना , हमारे अंदाज़े -  इश्क से 
हमारी ये खवाहिश है , ये चर्चा गली- गली न हो जाए

खुद को बेसुध किये बैठ हैं एक-दूजे के पहलू में
खुदा करे कयामत की रात हो आये

चंद लम्हे तेरी आगोश में गुजर हो , जिंदगी मेरी खूबसूरत हो जाए
तेरी  मुस्कराहट को अमानत कर लूं , नसीब हो जाए मुझे जीते-जी जन्नत

उस आसमानी खुदा ने तुझे यूं ही नहीं बनाया , हुस्न की मल्लिका
तेरी  ये खूबसूरत हंसी ,मेरे दिल का करार हो जाए.






मुझे अपने दर का चिराग कर लो ,मेरी इबादत क़ुबूल कर लो


मुझे अपने दर का चिराग कर लो, मेरी इबादत कुबूल कर लो

मुझे अपने दर का चिराग कर लो, मेरी इबादत कुबूल कर लो
जी रहा हूँ मैं एक तेरे दम से, मेरी दुआएं कुबूल कर लो

'करम करो मेरे मौला मुझ पर, मेरी जियारत कुबूल कर लो
मेरे गुनाहों को माफ़ करना, मेरी मुहब्बत कुबूल कर लो

मेरे खुदा मुझे फ़रिश्ता कर दो, मेरे रूवाबों को पाकीज़ा कर दो
अपनी परवरिश में लेना मुझको, अपने करम से नवाजो मुझको

मेरे अल्फाजों को पाकीजगी अता करना, मैं जो भी लिखूं उसे इबादत कर दो
मेरे प्रयासों को अपनी अमानत करना, मेरी कोशिशों को कुबूल कर लो

मेरे दामन को पाक--साफ़ रखना, मेरी खुशियों को आसमां दे दो
मेरी जिंदगी को मकसदे-इंसानियत करना, मैरी ये आरज़ू कुबूल कर लो

मैं प्यासा हूँ दीदार का तेरे, मेरी आरजू पर करम कर दो
एक पत्र के लिए ही सही, अपने दीदार से नवाज़ दो मुझको

मेरी मुहब्बत कुबूल कर लो, मुझे भी अपना अज़ीज़ कर लो
करम से तेरे मैं हूँ रोशन, मुझको अपने करीब रख लो

चॉँद-तारों की आरजू नहीं मुझको, मेरी खवाहिशों को कुबूल कर लो
जी रहा हूँ मैं तेरे दम से, मेरा मुकददर रोशन कर दो



तेरे प्रयासों में जितनी गंभीरता और अनुशासन होगा - मुक्तक


१.


तेरे प्रयासों में जितनी गंभीरता और
अनुशासन होगा

तुझे उतना ही खुशनुमा आसमां होगा
नसीब


२.


अपने  सपनों को प्रयासों का साथ देकर
तो देख

तेरे प्रयास तेरी मंजिल का हमसफ़र बन
तेरे सपनों को करेंगे रोशन

3.


अपनी मंजिल की ओर , दो कदम ही
सही बढ़ा के तो देख

तेरे हौसलों को मिल जाएगा आसमां 
और तुझे होगी मंजिल नसीब

4.


कोई तो मेरी मंजिल की राह का
हमसफ़र होता

खुशनुमा हो जाती रातें मेरी, 
जो मेरी आगोश में उसका सिर होता

5.

अकेले बढ़ते रहने से कर लिया किनारा
उन्होंने

उन्हें ये डर था अकेले चलकर मंजिल
नसीब नहीं होती

६.


जिंदगी के उतार--चढ़ाव को कर लिया
उन्होंने अपनी जिंदगी का हिस्सा

उन्हें डर था ये उतार--चढ़ाव 
कहीं हो न जाएँ कहीं ,उनकी जिंदगी का किस्सा


Wednesday, 13 April 2016

कान्हा - भजन

 कान्हा - भजन 


कान्हा मुरली बजावे मधुबन में, कान्हा रास रचावे वृंदावन में 
गौअन को चरावे कान्हा मथुरा में , राधा संग खेले वृन्दावन में

कान्हा ,गिरधर बनकर आ जाओ , हम ढूंढें तुमको जबलपुर में
निर्धन को धनी बना जाओ, हम ढूंढें तुमको जबलपुर मैं

कान्हा पास हमारे आ बैठो , दिल लगता नहीं अकेले में
कान्हा भक्ति का मुझे सहारा दो, दिल लगता नहीं इस दुनिया में

मंगल हित कान्हा आ जाओ, हम भक्त पड़े तेरे चरनन में
हमको तुझसे है प्यार हुआ , दो पल को आ जाओ जबलपुर मैं

तेरी रहमत पर है यकीन हमको, है भाग्य तुम्हारे हाथों में
तेरे दर्शन के अभिलाषी हम, प्रभु अब तो आओ जबलपुर में

तेरे चरणों में बलि- बलि जाएँ, कुछ ऐसा कर दो जीवन में
मोक्ष का अमृत मिले हमको, अब दरश दिखाओ जबलपुर में

कान्हा मुरली बजावे मधुबन मैं, कान्हा रास रचावे वृंदावन मैं
गौऊन को चरावे कान्हा मथुरा में , राधा संग खेले वृन्दावन मैं






Tuesday, 12 April 2016

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो, सरकार तेरे नाम से
मुझे अपना बना लो , सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

मेरे पिया तेरे नाम से,  मेरे पिया तेरे नाम से
मेरे ख्वाजा तेरे नाम से, मेरे ख्वाजा तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

राम तेरे नाम से, घनश्याम तेरे नाम से
कान्हा तेरे नाम से, कृष्ण तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

ओ भोले तेरे नाम से, कन्हैया तेरे नाम से
मुझे अपना बना लो, सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

मैं जियूं तेरे नाम से, मैं मरूं तेरे नाम से
मैं जहाँ भी रहूँ, मैं रहूँ तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

इंतज़ार न कराना, मेरे पिया जल्दी आना
दीदार मुझे कराना, दीदार मुझे कराना

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

रोशन हो मेरी किस्मत, सरकार तेरे नाम से
बिगड़े काज संवरें , सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

तेरी रहमत का चर्चा , सरकार तेरे नाम से
मेरा जीवन संवरे, सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

आशा और विश्वास जगा दो, सरकार तेरे नाम से
मुझे फूल सा खिला दो, सरकार तेरे नाम से

धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से

मेरा जन्म सुधारो, सरकार तेरे नाम से
चरणों में मुझको ले लो, सरकार तेरे नाम से


धूलि चरणों की बना लो ,सरकार तेरे नाम से 

Monday, 11 April 2016

हर एक साँस में

हर एक सांस में

हर एक सांस में , अनंत जीवन मृत्यु
हर एक सांस के साथ,

जिंदगी के उतार--चढ़ाव का एहसास
अचानक छूटती सांस

जिंदगी में किसी अशुभ की
आशंका के आगमन के साथ

साँसों का सामान्य होना जीवन में
सब कुछ ठीक होने का
आभास करता है

साँसों का चलते रहना
जीवन को बनाए रखना है

एक उम्र के पड़ाव पर आकर
साँसों को टूटने का डर
हे रहता है

अपनी साँसों को
अर्थात जीवन को
उस परमात्म तत्व से
जोड़कर ही मानव
जीवन के अंतिम क्षणों को
समर्पण भाव के साथ
जी सकता है

स्वयं के उद्धार , स्वयं के मोक्ष के
सारे प्रयास
उसकी साँसों के उतार--चढ़ाव
पर ही निर्भर होते हैं

साँसों का बंधन , जीवन का बंधन
साँसों से मुक्ति , जीवन से मुक्ति

यही इस मानव जीवन का अंतिम और एकमात्र सत्य




Sunday, 10 April 2016

सीमाओं पर लगी बाड़ के उस पार

सीमाओं पर लगी बाड़ के उस पार

सीमाओं पर लगी बाड़ के उस  पार
चलो
आपसी मुहब्बत की  ,भाईचारे  की
महफ़िल  सजा आयें

बाँट लें  
एक दूसरे के ग़मों को
चलो
फिर एक नयी दुनिया बसायें

आतंक के इस नासूर को
 हम 
अपनी एकता और भाईचारे  का
आइना दिखा आयें  

कुछ करें ऐसा
इन आतंक के रखवालों के
दिलों में
अहिंसा के पथ पर चलकर.
प्यार, मुहब्बत से
जीने का
ज़ज्बा जगाएं

चलो
एक नया  जहां बसायें
एक नया आशियाँ बसायें



चला था वह


चला था वह

चला था  
कंधे पर
बन्दूक धर वह
 
सीमा को पार कर
लोगों के
लहू की प्यास लिए
आतंक का परचम लहराने
सीमा पर लगी बाड़
और
जवानों की आँखों में
धूल झोंककर

वह भारत भूमि पर
पैर पड़ते ही
ख़ुशी से झूम उठा

जंगल, नदियों को पार कर
मीलों चलता,
स्वयं को बचाता
भूख – प्यास से
परेशान

पीने को पानी की
एक बूँद भी नहीं बची थी
उसके पास

याद हो आये
उसे अपनी अम्मी और अब्बू

वो छोटा भाई
और
  छोटी बहन

जो भाईजान – भाईजान कह
नाक में दम
किये रहती थी

स्वयं को जीवित रखना
अब उसकी प्राथमिकता हो गई
बन्दूक, हथियार
को कहीं छुपा

वह पहुंचा
एक गाँव में

दरवाज़े पर
दस्तक दी
भाई !
दो रोटी और एक गिलास पानी
मिलेगा क्या

एक महिला ने दरवाज़ा खोला

और कहा
क्यों नहीं भाई जान !

अन्दर आइये

मकान के भीतर
वह महिला ,
उसके बूढ़े
सास – ससुर
एक प्यारी सी बच्ची

बुजुर्गवार ने पूछा
क्या हुआ बरखुरदार
रास्ता भटक गए क्या ?

वह अपने दिल की आवाज़ को
टटोलने लगा

अंतरात्मा से आवाज़ आई

“अपना मकसद न भूलना असलम”

कोई उत्तर मिलता

इसी बीच
वह नन्ही सी परी
बोल पड़ी

अम्मी कौन हैं ये ?

माँ ने कहा
बेटा ये तुम्हारे
मामू – जान हैं

खाने से भरी

थाली और
एक गिलास पानी

अब उसका जीवन बन गया

दो वक़्त की रोटी
ने   

उस घर के लोगों के
काम में उसे मशगूल कर दिया

वह खेत पर काम करता ,
ईंधन इकट्ठा करता,
जानवरों को चराता

इस तरह
वह उस घर के
एक सदस्य की तरह
जिंदगी गुजारने लगा

उस घर के हर एक सदस्य में
उसे अपनी
अम्मी, अब्बू ,
छोटी बहन
नज़र आने लगे

उस नन्ही परी
की पाकीज़ा आँखें

उन बुजुर्गवार
की लाखों आशीष

और उस
विधवा के
हाथों से बने
भोजन का बोझ

वह ज्यादा समय तक
ढो नहीं पाया

खुद को उसने
उस परिवार पर

कुर्बान करने
का निर्णय कर लिया

उस परिवार की
मुहब्बत ने
उसे जीने का
मकसद दिया

उसका मकसद
अब आतंक न होकर
दूसरों की
जिंदगी संवारना हो गया


खुद ही नहीं
दूसरों की खातिर

काश सभी असलम “ऐसे हो जायें “

काश....................................