मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
मुक्तक
जब तेरे ह्रदय में , किसी व्यथा पर दया भाव जागने लगेजब किसी का दर्द , तुझे अपना दर्द बन सताने लगेजब किसी की ख़ुशी में तुम्हें ख़ुशी रास आने लगेतब समझना , तुम करुणा के सागर हो गए हो |
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