मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
मुक्तक
जब किसी को देख , तेरी आँखें नम होने लगेंजब किसी की व्यथा पर , तेरा दिल घबराने लगेजब किसी के गम , तुझे भीतर तक सताने लगेंतब समझना , तुम्हारे ह्रदय में परमात्मा का निवास है |
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