१.
जब तुम्हारा अन्धकार, भक्ति रुपी मार्ग से मिटने लगे
जब तुम स्वयं को प्रभु का सेवक समझने लगो
जब तुम असीम शांति का अनुभव करने लगो
समझना तुम पर देवों की असीम अनुकम्पा है
२.
जब देवालय तुम्हारी लालसाओं पर विराम लगाने लगें
जब देवालय तुम्हारे मन में भक्ति भाव जगाने लगें
जब देवालय तुम्हें मोक्ष मार्ग बतलाने लगें
तुम यह मानकर चलना तुम्हारी भक्ति उस परमेश्वर को
स्वीकार्य है
3.
जब देवालय तुम्हारे प्रयोजन सिद्ध करने लगें
जब तुम पर देव पुष्प बरसाने लगें
जब तुम पर से ग्रहण रुपी बादल छंटने लगें
तुम महसूस करना तुम उस परमेश्वर के प्रिय हो
गए हो
4.
निर्मल जो तेरे भाव हो जाएँ
आसक्ति जो प्रभु में तेरी हो जाए
प्रकृति का हर कण जब तुझे भाने लगे
ये समझो तुम्हारे मन में प्रभु का वास है
5.
जब मन से कुटिल भावों का अंत होने लगे
जब सुविचारों की निर्धनता समाप्त होने लगे
जब ग्रीष्म में भी तुम्हें शीतलता महसूस होने लगे
तुम महसूस करोगे हृदय की पावनता को
६.
जब तेरे कष्ट समाप्त होने लगें
जब तू स्वयं को दूरद्रष्टा महसूस करने लगे
जब तू अपनी तकदीर पर नाज़ करने लगे
तुम ये मान लेना तुम उस परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति हो
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