मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
शायरी का एक खुशनुमा दौर हुआ था रोशन , हिन्दुस्तान में
" ग़ालिब " शायरों की महफ़िल में गुलाब बन महका
लैला - मजनू , हीर - रांझा , सोहनी - महिवाल थे मुहब्बत के निशाँ
" ग़ालिब "मुहब्बत के चाहने वालों की महफ़िल में गुलाब बन महका
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