Monday 24 May 2021

मुक्तक


 शायरी का एक खुशनुमा दौर हुआ था रोशन , हिन्दुस्तान में 

" ग़ालिब " शायरों की महफ़िल में गुलाब बन महका 


लैला - मजनू , हीर - रांझा , सोहनी - महिवाल थे मुहब्बत के निशाँ 

" ग़ालिब "मुहब्बत के चाहने वालों की महफ़िल में गुलाब बन महका 



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