१.
किताबों के पन्नों से रोशन हुए ख़्वाब
उम्मीद के बादलों से रोशन हुए जिगर
इंतिकाम में रखा नहीं कुछ भी दोस्त
दोस्ती की इबादत से रोशन हुए शहर
२.
खुश्क चेहरा लिए मुस्कुरा रहा है वो
गीत इबादत के गुनगुना रहा है वो
जख्म खाए हैं उसने जमाने में
फिर भी इडानियत की राह दिखा रहा है
3.
उन्हें हमारी मुहब्बत और हमारा साथ गंवारा न हुआ
उन्हें हमारी बेकरारी , हमारा प्यार जाहिर न हुआ
हम चाहते रहे उन्हें बिक मन , ऐ मुहब्बत के खुदा
हमारा प्यार , हमारा जुनूने - ए - मुहब्बत गंवारा न हुआ
4.
अपना समझ के मैंने अज़ीज़ कर लिया उन्हें
इम्तिहां और भी हैं आजमाइश के इस दौर में
ऐसा भी कोई हो जिसे मैं अपना कह सकूं
किस पर करें भरोसा इस क़यामत के दौर में
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