करवा चौथ
करवा चौथ की घड़ी है आई
सज रहे लोग - लुगाई
मन में उठ रही उमंगें
प्यार को जगाती तरंगें
प्रेयसी प्रियतम को मिलने को
व्याकुल
प्रियतम भी प्रेयसी को मिलने को
आकुल
कैसी प्रेम , श्रृंगार की घड़ी ये
आई
सज रहे लोग - लुगाई
हाथों में चूड़ी , माथे पे बिंदी
लग रही नार , सुन्दरता की मूर्ति
प्रेयसी – प्रियतम को पसंद रीत ये
आई
सज रहे लोग - लुगाई
नाक में लौंग , कानों में बाली
आज सजी है ये नखरेवाली
प्रेम की अजब रीत ये बनाई
सज रहे लोग - लुगाई
बाज़ार की छटा भी है निराली
श्रृंगार की दुकानों पर भीड़ है
भारी
प्रेयसी को खुश करने की प्रियतम
की बारी है आई
सज रहे लोग - लुगाई
रूठना – मनाना आज नहीं होगा
नखरा दिखाना आज नहीं होगा
प्यार करने की रात है आई
सज रहे लोग - लुगाई
करवा चौथ की घड़ी है आई
सज रहे लोग - लुगाई
करवा चौथ की घड़ी है आई
सज रहे लोग - लुगाई
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