Monday 18 October 2021

गीत बनकर - मुक्तक

 गीत बनकर


गीत बनकर संवर जाने को दिल करता है
ग़ज़ल बनकर निखर जाने को दिल करता है

तेरी आशिक़ी में तेरे दिल में उतर जाने को दिल करता है
इबादते – इश्क़ में फ़ना हो जाने को दिल करता है

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