मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
गीत बनकर
गीत बनकर संवर जाने को दिल करता हैग़ज़ल बनकर निखर जाने को दिल करता है
तेरी आशिक़ी में तेरे दिल में उतर जाने को दिल करता हैइबादते – इश्क़ में फ़ना हो जाने को दिल करता है
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