Wednesday, 25 November 2020

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

कहीं बहुमंजिला इमारत की खुमारी है सर पर

तार  - तार हो रहे हैं रिश्ते

कहीं अहं को खुमारी है सर पर

 

क्यूं कर नहीं निभाते नहीं हैं वो रिश्ते

विदेशों में बसने की खुमारी है सर पर

भाई ने भाई का सर दिया है फोड़

जायदाद के लालच की खुमारी है सर पर

 

बहनों को पराया कर दिया है उन्होंने

जायदाद लूट खाने की खुमारी है सर पर

माँ - बाप वृद्धाश्रमों की ख़ाक छानते हैं

आजाद जिन्दगी की खुमारी है सर पर

 

सिसकती साँसों के दर्द से कुछ लेना नहीं है इनका

अजब बिंदास जिन्दगी की खुमारी है सर पर

पैसों की गर्मी सर चढ़ बोलती है

रिश्तों को तोलने की खुमारी है सर पर

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