Sunday, 18 February 2024

मुक्तक

 वक़्त जब भी हाथ से फिसल जाता है

अनगिनत घावों का समंदर दे जाता है

जब भी वक़्त को काबू में रखा जाता है

सफलताओं का कारवाँ रोशन हो जाता है


अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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