Monday, 11 March 2019

हर नदी अपना रास्ता अपनी तरह से बनाती है


हर नदी अपना रास्ता अपनी तरह से बनाती है

हर नदी अपना रास्ता , अपनी तरह से बनाती है
जिन्दगी न जाने क्यों, झंझावातों में उलझ कर रह जाती है

धर्म और आध्यात्म के विश्वास की, कसौटी हो जाए जीवन
जीवंत हो उठेगा जीवन, मुक्ति का मार्ग होगा रोशन

सिर्फ एक खामोश धुन भटकती है , जीवन के कहीं किसी कोने में
दिल की बेचैनी जुबां पर आने की सोच , सिहर उठती है

सपनों से बनती जिन्दगी की राह का , ख़्वाब सजा कर देखो
तेरी हर एक कोशिश हर एक प्रयास को मंजिल होगी नसीब

मैं मरूंगा नहीं , सूरज सा अस्त हो पुनः भोर आते ही वापस आऊँगा
इस ज़ज्बे को जिन्दगी की धरोहर कर, जिन्दगी को करो रोशन

बचपन कोई खोई हुई चीज़ है क्या, जो उसे ढूंढ लोगे तुम
हो सके तो बचपन को खुलकर जियो, और रोशन करो यादों का एक कारवाँ

रिश्तों की माला को पिरोये, कुछ इस तरह
मोती हों सच्चे रिश्तों के, और धागा हो रिश्तों में विश्वास का


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