Tuesday, 23 January 2018

मानव मन

मानव मन

मानव मन इत--उत क्‍यों भटके
सच की राह ये क्‍यों न पकड़े

चंचल मन इत - उत क्‍यों डोले
सच की राह ये क्यों न दौँड़े

भोग विलास इसे क्यों भाये
सच की राह पर ये क्‍यों न जाए

मानव मन इतना क्‍यों भोला
सच की राह से हर दम डोला

मानव मन को स्थिरता नहीं भाती
सच की रह इसे सही न जाती

मन को हम समझाएं कैसे
सच की राह पर लायें कैसे

मन को पावन किस तरह बनाएं
सच की राह किस तरह दिखाएँ

मन की सुन्दरता, तन की सुन्दरता
इसे स्वयं से मोह सिखाएं

सच के मार्ग का , बना के राही
इसको सच का परिचय कराएं

जीवन एक संघर्ष क्षेत्र है
इसको इसका बोध कराएं






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