१.
जब तुम्हारे विचार पवित्र से पवित्रतम होने लगें
जब तुम्हारे कर्म पावन से पावनतम की ओर बढ़ने लगें
जब तुम्हारी कोशिशें श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम होने लगें
तब तुम यश प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रहे हो , यह समझ लेना
२.
जब तुम्हारा रूप सुन्दर से सुन्दरतम को प्राप्त करने लगे
जब तुम्हारा स्पर्श कोमल से कोमलतम का एहसास करने लगे
जब लोग तुम्हें महान से महानतम की श्रेणी में शामिल करने लगें
तब तुम सबके लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हो, यह समझ लेना
3.
जब तुम फर्श से उठ अर्श की ओर बढ़ने लगो
जब तुम्हारे सद्विचार उत्कर्ष को प्राप्त करने लगें
जब तुम उत्कृष्ट से उत्कृष्टतम की ओर बढ़ने लगो
तब तुम उस परमात्मा की अनुपम कृति बन संवर रहे हो, यह समझ लेना
4.
जब तुम्हारी सोच उच्च से उच्चतम की ओर बढ़ने लगे
जब तुम्हारा विश्वास इृढ़ से दृढ़तम का एहसास कराने लगे
जब तुम्हारी सामाजिकता घनिष्ट से घनिष्टतम का बोध कराने लगे
तुम्हारी कीर्ति से सभी अभिभूत हो रहे हैं, यह समझ लेना
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