नववर्ष का हुआ आगमन
नववर्ष का हुआ आगमन , बीती बातें भुलाएँ चलो
रूठे हैं जो रिश्ते बरसों से , उन्हें मनाएं चलो
क्यों कर करें गिले - शिकवे , छोटी - छोटी बातों पर
क्यों न रोशन करें , मुहब्बत का एक कारवोँ सजाएं चलो
माता -पिता से लें आशीर्वाद , भाई बहन का प्यार
संस्कृति और संस्कारों की , एक सरिता बहायें चलो
कुछ गीत मैं लिखूं, कुछ गीत तुम लिखो इंसानी रिश्तों पर
इस दुनिया को आगे बढ़कर , इंसानियत से रूबरू कराएं चलो
मन को एकाग्र करें और करें विचार शक्ति का विकास
स्वयं को अभिव्यक्त करने का माध्यम सुझाएँ चलों
प्रार्थना उस परमेश्वर की, और उसका ध्यान
इस जीवन को उस खुदा की अमानत बनाएं चलो
आत्मविश्वास से स्वयं को करें पोषित. और बल - शक्ति से संपन्न
इन्हें अपने लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग बनाएं चलो
भाग्य को अपने बस में करें , और इच्छा शक्ति को प्रबल
स्वयं को स्वयं के मोक्ष मार्ग का राही बनाएं चलो
गर सुख है स्वयं को सदचरित्र पोषित करने में
अपने चरित्र को अपने जीवन का सच्चा मित्र बनायें चलो
कर्तव्य राह को समझें , अपनी जिन्दगी का आधार
इसे अपनी मंजिल की ओर बढ़ने का अस्त्र बनाएं चलो
शिक्षा और ज्ञान से हर पल स्वयं को करें पोषित
इसे ही अपनी सफलता का आधार बनाएं चलो
प्रेम और निस्वार्थ सेवा को करें अपने जीवन की पूँजी
क्यों कर इस अमूल्य धरोहर को गंवाएं चलो
सच्चा सुख राष्ट्र धर्म और धर्म के प्रति आस्था में
स्वयं को देश की धरोहर और धर्मपुत्र बनायें चलो
खुद से करो प्यार, खुद को करो नैतिक विचारों से पोषित
लोगों के लिए खुद को , एक आदर्श बनाएं चलो
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