Monday 16 April 2018

भागती दौड़ती जिन्दगी - ग़ज़ल

भागती दौड़ती जिन्दगी--गज़ल

भागती दौड़ती , जिन्दगी में
दो पल  सुकून की , मोहलत तो दे

जी रहे हैं जो सिसकती , साँसों के संग
उन्हें दो पल  की , मुस्कराहट तो दे

अजीब सा खालीपन है , जिन्दगी में
दो पल की खुशियों , ही तो दे

पाक दामन की आरज़ू लिए , जियें हम सब
इतना तो हम पर , करम कर दे

तनहा - तनहा गुजर रही है जिन्दगी मेरी
दो पल के लिए ही , किसी को मेरा हमसफ़र कर दे

इस गुलशन में , अजब सा खालीपन है
दो फूल इस गुलशन की , नज़र कर दे

गीत बनकर छा जाएँ , लबों पर सबके
मेरी कलम को इस हद तक , रोशन कर दे

मुझे किसी से गिला या , शिकवा नहीं
मैं खुद से प्यार करूँ , बस इतना करम कर दे





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