Tuesday, 20 December 2016

मंगल कर्म सभी हों तेरे



मंगल कर्म सभी हों तेरे

मंगल कर्म सभी हों तेरे , ऐसे कुछ प्रयास करो
लोगों को जो राह दिखाए , ऐसे कुछ प्रयास करो

कामनाओं से पीछा छूटे , ऐसे कुछ प्रयास करो
निर्मल हो जाए तेरा तनमन , ऐसे कुछ प्रयास करो

निर्बल को सबल बना सको , ऐसे कुछ प्रयास करो
जीवन उत्कर्ष की राह पर बढ़े, ऐसे तुम उपाय करो

जीवन तेरा जीवन सा महके , ऐसे कुछ प्रयास करो
ये जीवन उस प्रभु की धरोहर हो जाए , ऐसे कुछ प्रयास करो








अपने जीवन को यूं न उलझाओ



अपने जीवन को यूं उलझाओ

अपने जीवन को , यूं उलझाओ
जीवन गीत रचो, और गुनगुनाओ

कामनाओं में , खुद को उलझाओ
इबादत के गीत रचो , और गुनगुनाओ

खुद को विलासिता,  में उलझाओ
थोड़ा सा वक़्त खुदा के बन्दों की , खिदमत में लगाओ

अपने जीवन को , ग़मों के सागर में यूं डुबाओ
खुद की परवाह करो , खुद को समझाओ

अपने जीवन को मायामोह , में उलझाओ
स्वयं का उद्धार करो, और मोक्ष की राह पर बढ़ते जाओ

स्वयं को अविश्वास के , बादलों में उलझाओ
स्वयं को पल्लवित कर , उत्कर्ष की राह पर बढ़ते जाओ

किसी और के आदर्शों का पल्ला , पकड़ क्यों चलते हो तुम
स्वयं को पुष्पित करो, आदर्श की राह निर्मित करते जाओ

लोगों के अभिनंदन में कब तक,  बजाते रहोगे तालियाँ
स्वयं पर विश्वास करो, और अभिनंदन राह पर बढ़ते जाओ






खुदा तेरे इर्द - गिर्द बसता, तुझे एहसास ही नहीं होता



खुदा तेरे इर्द  - गिर्द बसता , तुझे एहसास ही नहीं होता

खुदा तेरे इर्दगिर्द बसता , तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा हर एक के दिल में रहता, तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा गमगीनों की आह में बसता, तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा हर एक की दुआओं में बसता , तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा पालने के शिशु की मुस्कान में बसता , तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा हर एक की जीत और हार में बसता, तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

खुदा हर एक की ख़ुशी और ग़मों में बसता, तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है

तेरे बुरे दिनों में भी वो तेरे साथ होता, तुझे एहसास ही नहीं होता
ये तेरी नज़र का कुसूर नहीं है तो और क्या है








मम्मी

मम्मी

मम्मी मेरी प्यारी मम्मी
जग से है दुलारी मम्मी

जब भी मैं रूठ जाऊं
प्यार से मनाती मम्मी

अच्छे नंबर जब मेँ पाती
गले से मुझे  लगाती मम्मी

जब भी मैं अच्छा काम करती
गोद में मुझे बिठाती मम्मी

मेरे जीवन की मुस्कान मम्मी
मेरे घर की शान मम्मी

सुबह शाम वो पूजा करती
मुझमे संस्कार जगाती मम्मी

दुनिया से अच्छी शैफ़ मम्मी
खाने लजीज बनाती मम्मी

मेरे दिल की धड़कन मम्मी
पापा की भी जान मम्मी

घर में सबकी जान मम्मी
रखती सबका ध्यान मम्मी

मेरी प्यारी प्यारी मम्मी
मेरे घर की शान मम्मी

मम्मी मेरी प्यारी मम्मी
जग से है दुलारी मम्मी

पेड़ लगायें

पेड़ लगाएं


गली - गली और नगर - नगर
चलो पेड़ लगाएं सब मिलकर

आओ सब मिलकर पेड़ लगाएं
धरती का आँचल सजाएं

रोशन हो हर कोना - कोना
धरती हो जाए एक बिछौना

धरती हो जाए एक उपवन
आओ पेड़ लगाएं सब मिलकर

पेड़ों की है महिमा न्यारी
देते छावं ओर हरियाली 

श्रृंगार करें इस धरती माँ का
करते पुष्पित ये सबका जीवन

पड़ों से फल--. फूल हैं मिलते
'खिलते हैं ऑगन , नगर हैं खिलते

चन्दन की खुशबू से महकते
जीवन सबका रोशन करते

गली - गली और नगर - नगर
चलो पेड़ लगाएं सब मिलकर

आओ सब मिलकर पेड़ लगाएं
धरती का आँचल सजाएं



नदी की धार में



नदी की धार में

नदी की धार में मछली भी , तिनका बन बह जाती है
जीवन के झंझावातों में, जिन्दगी तड़प कर रह जाती है

सागर के तट पर बैठ, लहरों का नज़ारा ले क्यों
लहरों से जो टकरायें , वो जिन्दगी नासूर बन रह जाती है

बगैर पंखों के कोई आसमां में , उड़े तो उड़े कैसे
बगैर हौसलों के जिन्दगी , अधूरे प्रयासों का समंदर हो जाती है

किसी के प्रयास उसकी मंजिल का , पता हुए तो हुए क्यों नहीं
खुद पर एतबार हो तो , कोशिशें बेकार हो रह जाती हैं

उत्कर्ष की राह पर, प्रयासों को जो , अपना हमसफ़र करो
असफलताओं के दौर में , जिन्दगी फंसकर रह जाती है

अपने हौसलों , अपने प्रयासों पर जो किया एतबार
जिन्दगी असफल प्रयासों की राह में , उलझकर रह जाती है

जिनके प्रयासों में होती है जान, और होता है खुद पर एतबार
उनकी जिन्दगी सफलताओं के दौर से,  गुजर रोशन हो जाती है