मैं चाहता हूँ
मैं चाहता हूँ
एक जहां बसाना
जिस पर हो
तारों का ठिकाना
चन्दा करता हो
अठखेलियाँ
बाद्लों के पीछे
कभी सूरज अपनी
शरारतपूर्ण
हरकतों से चाँद को
करता दिखता हो
परेशान
चाहता हूँ एक जहां
बसाना
जहां बादल बूंदों को
अपने में समाये
बादल जो धरा पर
जीवन तत्व की बरसात
करते हैं
मैं चाहता हूँ
एक ऐसा ठिकाना
जहां आसमां पर
जीवन के सतरंगे
पलों को अपने में समाये
इन्द्रधनुष दिखाई देता
है
मेरा मन चाहता है
एक ऐसा आशियाँ
जहां भोर होते ही
पंक्षियों की चहचहाहट
सुनाई देती है
जहां सुबह की भोर के
आलाप
मनुष्य को
उस परमात्मा से जोड़ते
हैं
जहां पालने में
रोते बालक की
आवाज सुनते ही
माँ तीव्रगति से
अपने बच्चे की ओर भागकर
उसे गले से लगा लेती है
मैं एक ऐसा जहां
बसाना चाहता हूँ
जहां संस्कार ,
संस्कृति के रूप में
पल्लवित होता है
यह वह जहां है
जहां मानव
मानव की परवाह करता है
नज़र आता है
जहां कोई
मानव बम नहीं होता
जहाँ कोई आतंकवाद नहीं
होता
जहां कोई धर्मवाद ,
जातिवाद ,
सम्प्रदायवाद नहीं होता
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