Monday, 21 October 2013

आज के चैनल

आज के चैनल
आज के चैनल
आधुनिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं
और हमारे विश्वास व आस्था को  
अंधविश्वास व रूढिवादिता बता रहे हैं
आज के चैनल
आधुनिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं
और बुद्धिजीवी आने वाली पीढ़ी के
भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं
सीरियल देखकर महिलायें
अपने आपको
नए श्रृंगारों , परिधानों
एवं भव्य जीवन शैली
से अपने आपको लुभा रही हैं
और पति बेचारों की जेबें
पत्नियों की मांगें पूरी करने में
अपने आपको  असहाय पा रही हैं
युवा पीढ़ी डेट को खजूर समझकर
उसके पीछे भाग रही है
और
अपनी जेबें खाली करने के
साथ – साथ
अपराध की ओर अग्रसर हो रही है
इस डेट रुपी विचार ने
युवा पीढ़ी को
अन्धकार रुपी भविष्य की ओर
धकेल दिया है
टी वी को सेंसर की
जरूरत महसूस होने लगी है
चूंकि टी वी पर महिलाओं
के कपड़े छोटे होने लगे हैं
टू पीस में टी वी बालायें
अपने आपको श्रेष्ठ फिगर
का ताज पहनाती
गौरवशाली पा रही हैं
दूसरी ओर आज की मम्मियां
अपने आपको टी वी के सामने
अपने बच्चों के साथ
असहज पा रही हैं
युवा पीढ़ी व आधुनिक मम्मियों
को ये सब बहुत भा रहा है
पर हमें
होने वाली पीढ़ी का भविष्य
गर्त में नज़र आ रहा है
टी वी पर ठुमके
आज आम हो गए हैं
नैतिकता, सुविचार
सुआचरण, मानवता सभी
कहीं खो गए हैं
जागो और कुछ करो
ये टी वी
भविष्य के भारत के
सामजिक परिदृश्य हेतु
अनैतिक कुविचार है
इन पर रोक लगाओ
स्वस्थ वातावरण बनाओ
युवाओं आगे आओ
देश को बचाओ
संस्कृति , संस्कारों को बचाओ
अपने मानव होने का धर्म निभाओ
अपने मानव होने का धर्म निभाओ
अपने मानव होने का धर्म निभाओ





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