गीत बनकर
गीत बनकर संवर जाने को दिल करता है
ग़ज़ल बनकर निखर जाने को दिल करता है
तेरी आशिक़ी में तेरे दिल में उतर जाने को दिल करता है
इबादते – इश्क़ में फ़ना हो जाने को दिल करता है
मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
गीत बनकर
गीत बनकर संवर जाने को दिल करता है
ग़ज़ल बनकर निखर जाने को दिल करता है
तेरी आशिक़ी में तेरे दिल में उतर जाने को दिल करता है
इबादते – इश्क़ में फ़ना हो जाने को दिल करता है
मेरा मन मुझसे कहे
१.
मेरा मन मुझसे कहे, जगत से करियो प्रीत I
दुनिया खुशनुमा बनाए रखने की , है ये उत्तम रीत II
२.
क्यूं कर उसने ये कहा, ये जग झूठी माया I
मैं तो बस इतना कहूँ , उत्तम धन है निरोगी काया II
इस जग में कोई नहीं
१.
इस जग में कोई नहीं , तेरे सांचे मीत I
खुद पर हो विश्वास तुझे , तू खुद से कर ले प्रीत II
२.
खुद को संस्कारित करो, खुद को करो बुलंद I
मंजिल मिल जायेगी तुझे, आनंद ही आनंद II
प्रभु से कर ले प्रीत
१.
प्रभु से कर ले प्रीत , प्रभु को कर ले मीत I
प्रभु ही पार करेंगे नैया, ये है उत्तम रीत II
२.
कर भला तो हो भला , क्यूं कर सोचे कोई I
भला करके तू भूल जा, उत्तम गति होई II
3.
कासे दिल की पीर कहूँ , कोई न साँचो मीत I
जो प्रभु चित धारयो , उनसो न कोई मीत II
खुद से ही मिलेगी प्रेरणा
खुद से ही मिलेगी , प्रेरणा
खुद से ही बुलंद होगा , आत्मविश्वास
खुद से ही रोशन होगा , संस्कृति का कारवाँ
खुद से ही विकसित होगा , संस्कारों का उपवन
खुद से ही अग्रसर होना होगा , मंजिल की ओर
खुद से ही रोशन होगा , सपनों का एक खुला आसमां
खुद से ही रोशन होगा , आदर्शो का कारवाँ
खुद से ही विकसित होंगे , सफलताओं के द्वार
खुद से ही खिलेगा , स्वस्थ समाज का उपवन
खुद से ही रोशन होगा , रिश्तों का उपवन
खुद से ही मिलेगी , प्रेरणा
खुद से ही बुलंद होगा , आत्मविश्वास
खुद से ही रोशन होगा , संस्कृति का कारवाँ
खुद से ही विकसित होगा , संस्कारों का उपवन
हर एक चरित्र
कामातुर, व्यभिचारी विचारों से पोषित
हो रहा हर एक चरित्र
देह कामना , हो गयी अभिलाषा
इसे ही जीवन का उद्देश्य ले जी रहा हर एक चरित्र
कातर आँखों से भीतर तक
बींधता स्त्री तन की सौन्दर्यता
संताप नहीं उसे , इस पथ पर बढ़ने का
क्या अवैधानिक, क्या अनीतिसंगत
आकांक्षाओं के समंदर में गोते लगाता
डूबता, उतराता , सँभालने की असफल कोशिश
कायदे , रीति , नियमों पर मिटती डालता
बेशर्मों सा इठलाता
कामातुर, व्यभिचारी विचारों से पोषित
हो रहा हर एक चरित्र
देह कामना , हो गयी अभिलाषा
इसे ही जीवन का उद्देश्य ले जी रहा हर एक चरित्र
मैंने एक बार.................
मैंने एक बार
एक बच्चे से पूछा
" क्या बनोगे ? "
बच्चे ने मुंह बिचकाया
मैंने पूछा शिक्षक बनना चाहोगे ?
बच्चा मासूमियत भरे अंदाज़ में बोला -
" क्या ट्यूशन का आतंक फैलाओगे "
असाइनमेंट में नंबर दूंगा कम
चाहे बच्चे में हो दम
पास को दिखाऊंगा फैल
क्योंकि शिक्षा है एक खेल
लोगों ने बना दिया इसे
पैसा कमाने की एक सेल
मुझे शिक्षक नहीं बनना
इससे अच्छा तो बेरोजगार रहना
मैंने दूसरा सवाल पटका
वह मेरी ओर लपका
मैंने कहा -
" तो इंस्पेक्टर ही बन जाओ "
बच्चा अकड़कर बोला -
बिन मतलब के जेल मत जाओ
हम तो कमाल दिखाते हैं
बेक़सूर को डंडे की दम पर उठा लाते हैं
और उनके मुंह पर काला कपड़ा रख
अपनी बहादुरी के किस्से
टी वी चैनल पर शान से दिखाते हैं
और शहर से दूर
सूनसान सड़क पर
लोगों को बन्दूक की नोक पर लुटवाते हैं
25% हम खाते हैं
75% ऊपर वालों को खिलाते हैं
बच्चा बोला -
मुझे इंस्पेक्टर नहीं बनना
इससे तो अच्छा बेरोजगार आजीवन रहना
प्रश्न पूछना मेरी आवश्यकता थी
सो मैंने एक प्रश्न और पूछा -
" तो क्या डॉक्टर बनोगे ?"
बच्चा लपककर बोला -
बिन दवाई के मरोगे
आज का डॉक्टर
समय पर सोता है
समय पर जागता है
समय मिले तो
लॉन्ग ड्राइव पर भी जाता है
और अस्पताल के समय
क्लिनिक में नजर आता है
सब डॉक्टर मरीज के आफ्टर हैं
बिफोर तो कोई - कोई होता है
बच्चा बोला -
मैं बेरोजगार ही ठीक हूँ
मुझे डॉक्टर नहीं बनना
प्रश्न पूछने की जिज्ञासा को
आगे बढ़ाते हुए
मैंने एक प्रश्न और पटका
" तो वकील बनोगे "
वह मासूमियत भरे अंदाज़ में बोला
" सारी जिन्दगी अदालत में सड़ोगे "
अदालत का फुल फार्म तुम्हें नहीं मालूम
" अ " से आओ
" द " से दान करो
" लत " यानी लात खाओ और घर जाओ
अपराधियों का केस लेने में हम माहिर हैं
बेक़सूर लोगों को जेल भेजने में हम जग जाहिर हैं
अपराधियों से हमारी अच्छी अंडरस्टैंडिंग
साधारण जनता का केस हमेशा पेंडिंग
मुझे वकील नहीं बनना
अच्छा है आजीवन बेरोजगार रहना
इस जवाब के बाद मैंने पूछा -
" तो इंजीनियर ही बन जाओ "
बच्चा बोला -
ढेर सारे पुल और बिल्डिंग मत गिरवाओ
हम तो कमाल दिखाते हैं
1 - 12 के रेश्यो में बिल्डिंग बनाते हैं
और बेक़सूर जनता को
समय पूर्व जन्नत की सैर कराते हैं
नेताओं से हमारी अच्छी अंडरस्टैंडिंग
चलती है हमारी कमीशन पर सेटिंग
बच्चा उदास हो बोला
ऐसा इंजीनियर मुझे नहीं बनना
इससे बेहतर तो बेरोजगार रहना
मैंने अंतिम सवाल पटका और पूछा -
" तो नेता ही बन जाओ "
वह लपककर बोला
बेकार के वादे मत करवाओ
चारे पर , कोफीन पर , अस्त्र पर शस्त्र पर
चलता है कमीशन मेरा
चूंकि व्यापक कार्यक्षेत्र है मेरा
उदास मन से
बच्चे ने मुझसे ही पूछा
अब तुम ही कुछ कर दिखाओ
इस देश को बचाओ
कुछ रोशनी फैलाओ
लोगों को जगाओ
और यदि कुछ न कर सको तो
घर जाकर चादर से मुंह ढंककर
आराम से सो जाओ
आराम से सो जाओ
आराम से सो जाओ
बस अब और नहीं
फिल्मों में गालियों की बौछार
तंग गलियों में सिसकते संस्कार
बस अब और नहीं
बुजुर्गों का तिरस्कार
नारी पर होते अत्याचार
बस अब और नहीं
आधुनिक होते विचार
बढ़ता व्यभिचार
बस अब और नहीं
धर्म प्रेरित राजनीति
शिक्षा का व्यापार
बस अब और नहीं
आये दिन हो रहे बलात्कार
संस्कारों का तिरस्कार
बस अब और नहीं
बाबाओं का अनैतिक संसार
राजनीति हो गयी व्यापार
बस अब और नहीं
हो रहा चरित्रों में ह्रास
जिन्दगी में भागमभाग
बस अब और नहीं
किताबों से घटता मोह
मोबाइल से बढ़ता गठजोड़
बस अब और नहीं
भड़काऊ गीतों का संसार
फिल्मों में सेक्स का प्रचार
बस अब और नहीं
टी वी सीरियलों में देह का प्रचार
झुठलाते संस्कृति और संस्कार
बस अब और नहीं
डर के बाद जीत , अब देता जिन्दगी से हार
युवा पीढ़ी का अनैतिक व्यवहार
बस अब और नहीं
राजनीति का धर्म पर अधिकार
सांप्रदायिक एकता पर कुठाराघात
बस अब और नहीं
सिसकती चीखों का व्यापार ,रिश्तों पर करता प्रहार
हो रहा नारी पर अत्याचार
बस अब और नहीं
गीतों से काम भावना का प्रचार
चीखती आवाजों के संगीत का अजब संसार
करता संस्कृति और संस्कारों पर कुठाराघात
बस अब और नहीं
बस अब और नहीं