Saturday, 28 August 2021

वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना )

 वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना )

वक्त नाजुक है , जरा संभलकर रहिये
कोरोना की भीषण त्रासदी है, जरा बचकर रहिये |

कैद कर लोगे जो खुद को, खुद के ही आशियाँ में
जीत जाओगे जंग जिन्दगी की, होशियारी से रहिये |

कुछ पल की दूरियां, जिन्दगी से नजदीकियाँ बढ़ा देंगी
कोरोना की भयावह चाल है, संभलकर रहिये |

खुद की परवाह करें, और अपनों की भी
चंद रोज साथ गुजारकर . खुश रहिये |

बेवक्त बेवजह घर से , बाहर न निकलें
जब भी मजबूरी हो , सेनीटाईजर , मास्क के साथ चलिए |

इस धरा ने इससे भी भयावह, देखे हैं तूफां
खुदा ने दिया है तुझे वक्त इबादत का, कुछ वक्त उस खुदा की इबादत में गुजारकर चलिए |

वक्त नाजुक है , जरा संभलकर रहिये
कोरोना की भीषण त्रासदी है, जरा बचकर रहिये |

कैद कर लोगे जो खुद को, खुद के ही आशियाँ में
जीत जाओगे जंग जिन्दगी की, होशियारी से रहिये ||

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