संस्मरण
यहाँ
मैं एक बात कहना चाहूंगा कि इस संस्करण को
साझा करने का मेरा यह मतलब कतई नहीं है कि मैं अपनी तारीफ़ में कुछ लिख रहा हूँ अपितु
आपको बताना चाहता हूँ कि आपके प्रयास ही आपको महान या सफल व्यक्ति की श्रेणी में
ला खड़ा करते हैं | फिर आप चाहे अपनों से छोटी उम्र के बच्चों से सीखें या फिर और
किसी माध्यम से | तो आइये शुरू करता हूँ यह विशेष संस्मरण जो आपको अवश्य ही
प्रेरित करेगा ऐसा मेरा विश्वास है |
वर्ष 2000 की बात है
मेरे विद्यालय के प्राचार्य श्री जे एस मेहता हाथ में कुछ खाली सफ़ेद पेपर लिए
विद्यालय के शिक्षकों के पास जा रहे थे और
उन्हें एक सफ़ेद खाली पेपर देकर उसमे कुछ
लिखकर लाने को कह रहे थे | मैंने भी उत्सुकतावश उनसे पूछ ही लिया कि सर जी आप ये
क्या कर रहे हैं तब उन्होंने जवाब दिया कि गुप्ता जी ये आपके मतलब का विषय नहीं है
केवल शिक्षकों से सम्बंधित है | इसलिए आप रहने दीजिये जानकार क्या करेंगे | फिर भी
मैंने उन्हें पूछे बिना नहीं छोड़ा और एक खाली पपेर मैंने भी प्राप्त कर ही लिया |
उस पर
क्या लिखना था यह मैं आपके साथ अभी साझा नहीं करूँगा | तो हुआ यूँ कि उन्होंने जो लिखने को कहा था वह मैंने अपने
स्कूल के बच्चों , पत्रिकाओं, पुस्तकों, सन्दर्भ पुस्तकों की मदद से पूरा किया और धीरे से जाकर प्राचार्य महोदय
के टेबल पर रखी एक फाइल में जाकर रख दिया |
प्राचार्य जी के अंतिम
कार्यदिवस का दिन था आज उन्हें कार्यमुक्त होना था | कार्यक्रम के अंत में
प्राचार्य महोदय ने अपने सम्भाषण को एक बात साझा करके सभी को अचम्भे में डाल दिया |
उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो आप सभी श्री अनिल कुमार गुप्ता जी जो कि हमारे
विद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष हैं इनके लिये तालियाँ बजाएं | सभी ने तालिया
बजायीं | पर सभी इस बात के लिए उत्सुक थे कि आखिर ऐसी क्या बात है जो तालियाँ
बजवाई गयीं |
प्राचार्य महोदय ने कहा कि
मैंने पहली बार किसी गैर शिक्षक के द्वारा उत्तम प्रयास सफलतापूर्वक करते देखा है |
आप सभी को याद होगा मैंने आप सभी शिक्षकों को करीब तीन माह पूर्व एक शिक्षकीय
कार्य सौंपा था जिसमे आप सभी को “ प्रश्नों के प्रकार “ पर
अपने - अपने विचार रखने को कहा था | आप
में से बहुत से शिक्षक डी एड , बी एड , एम फिल, मास्टर डिग्री , एम एड एवं पी एच
डी आदि भी हैं किन्तु श्री गुप्ता जी के प्रयास के सामने आपका प्रयास फीका लगा
मुझे | श्री अनिल कुमार गुप्ता जी ने मुझे
प्रश्नों के 14 प्रकार लिखकर दिए थे जबकि आप में ज्यादातर शिक्षकों ने पाच – छः
प्रकार के प्रश्नों के प्रकार लिखकर दिए थे | मैंने श्री अनिल कुमार गुप्ता जी
द्वारा लिखकर दिए गए प्रश्नों के प्रकार पर राजीव गाँधी शिक्षा मिशन के अंतर्गत
सम्भाषण दिया जिसे सभी ने बहुत पसंद किया | एक बात आप सभी याद रखें कि आपके प्रयास
100% क्षमता के साथ किये जाएँ तभी आप सफल हो सकते हैं |
मैं आपको इस संस्मरण के माध्यम से
यह बताना चाहता हूँ कि आप किसी भी पद पर हों आप शिक्षकीय या गैर शिक्षकीय सभी
प्रकार के कार्य सम्पन्न कर सकते हैं | जरूरत है तो केवल कार्य को सम्पन्न करने की
इच्छा शक्ति और उपयुक्त माध्यम से कार्य करने की क्षमता की | श्री जे एस मेहता जी
ने अपने छः माह के कार्यकाल में जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्राचार्य का सम्मान
प्राप्त किया | उन्होंने विद्यालय में पानी, शौच , सफाई एवं कंप्यूटर शिक्षा आदि
पर भी बहुत कार्य किया |
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