Wednesday, 17 February 2021

बहुत भटक लिया हूँ मैं

 

बहुत भटक लिया हूँ मैं 

 

बहुत भटक लिया हूँ मैं

बहुत बहक लिया हूँ मैं

बहुत कर ली है मस्ती

बहुत चहक लिया हूँ मैं

 

बहुत कर ली शरारतें मैंने

बहुत बिगड़ लिया हूँ मैं  

अब मुझे विश्राम चाहिए

कुछ देर आराम चाहिए

 

इस उलझनों से

इन बेपरवाह नादानियों से

एक दिशा देनी होगी

अपने जीवन को

 

कहीं तो देना होगा

ठहराव इस जिन्दगी को

कब तक यूं ही भटकता रहूँगा

कब तक यूं ही बहकता रहूँगा

 

सोचता हूँ

चंद कदम बढ़ चलूँ

आध्यात्म की राह पर

मोक्ष की आस में नहीं

 

एक सार्थक

एक अर्थपूर्ण

जीवन की ओर

जहां मैं और केवल वो

 

जो है सर्वशक्तिमान

शायद मुझे

अपनी पनाह में ले ले

तो चलता हूँ उस दिशा की ओर

 

और आप .........................

 

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