मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
तेरे आने की आहट
यूं ही नहीं
गुजार दी बरसों रातें मैंने
अकेले – अकेले
तेरी यादों का समंदर
वो तेरी भीनी - भीनी खुशबू
जिन्हें मैंने कर लिया था
अपनी अमानत
अचानक ही बिस्तर से
उठ भाग उठता हूँ
कहीं
तेरे आने की आहट .................
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