सब कुछ यहीं रह जाएगा
सब कुछ यहीं रह जाएगा
तू साथ क्या ले जाएगा
जी रहा है भ्रम में क्यूं
बाद में पछताएगा
महंगी कारें, महंगी अटारी
सब कुछ यहीं रह जाएगा
खुद को जो बस में किया न तूने
तड़प - तड़प रह जाएगा
पाप की गठरी को न ढो
मिटटी में मिल जाएगा
क्यूं कर तू खुद को बहलाए
भ्रम में पडा रह जाएगा
खुशियों की तलाश के सफ़र का
अंत नहीं मिल पायेगा
पल - पल गिरेगा
पल - पल मरेगा
खूब तडपेगा तू
साथ नहीं कोई जाएगा
रिश्ते यहीं रह जायेंगे
साथ कुछ न जाएगा
क्यूं कर खुशियों का
अम्बर सजाना चाहता है
गिरता, उठता और फिर गिरता
क्या जताना चाहता है
क्या लाया था जो है खोया
कुछ न साथ तेरे जाएगा
तेरे न तेरे साथ होंगे
अकेला ही तू जाएगा
नेकियों का लहरा ले परचम
पाकीजगी को पायेगा
उस खुदा के दर का एक दिन
नूर तू कहलायेगा
उत्तम रचना
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