Monday 3 August 2020

वो पालते हैं हमसे दुश्मनी


वो पालते हैं हमसे दुश्मनी

वो पालते हैं हमसे दुश्मनी भी तो नज़ाकत से
देते हैं ग़मों का भर – भर समंदर भी तो नज़ाकत से

चुरा लेते हैं हमारी सारी खुशियाँ भी तो नज़ाकत से
जुदा होने का एहसास भी  नहीं  होने देते नजाकत से

अपना होने का एहसास भी जगाते हैं तो नज़ाकत से
जी  - जी भर आंसू रुलाते हैं भी तो नजाकत से

दिल के करीब होने का एहसास जगाते है न भी तो नज़ाकत से
अगले ही पल नज़रें फेर लेते हैं  भी तो नज़ाकत से

पीर दिल को बढाते हैं भी तो नजाकत से
नज़रों से गिराते है भी तो नज़ाकत से

आहों का एक समंदर भी रोशन कर जाते हैं तो नज़ाकत से
डूबती नाव को देख वो मुस्कराते हैं भी तो नज़ाकत से


No comments:

Post a Comment