Saturday 29 August 2020

अंदाज़े बयाँ


अंदाज़े  - बयाँ

बेवजह बेसबब आँखें नम  हो जाया नहीं करतीं
कभी ख़ुशी कभी गम के साए तले छलक जाती हैं ये

कभी रिश्तों की बज़्म जिन्दगी , कभी जीवन का उल्लास जिन्दगी
कभी ग़मों के साए में उलझती , कभी खुशियों का विस्तार जिन्दगी

आशियाने में हो हरियाली , दिलों में मुहब्बत जगा के रख
जिन्दगी में हो हरियाली , खुद को खुद से बचा के रख


मेरी आँखों का नम होना , मेरे ग़मों का सैलाब नहीं
कभी  - कभी मेरे आंसू मेरे गम में मरहम हो जाया करते हैं


चोरी करने का शौक है तो किसी के गम चुरा के देख
तेरी जिन्दगी को नसीब होगा उस खुदा का करम


तेरी जिन्दगी में खुशियाँ तेरी जिन्दगी का मकसद हो जाएँ 
किसी के गम तेरी जिन्दगी का मकसदे  - इबादत हो जाए


किसी की राह में कांटे नहीं , फूल बिछाकर देखो
गीत इंतकाम के नहीं , मुहब्बत के गुनगुनाकर देखो


उन्हें मालूम ही न था , उनके जीने का सबब
इंसानियत की राह ने उन्हें मकसदे  - जिन्दगी से कराया रूबरू

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