Monday 15 June 2020

कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम


कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम

कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम
पंचतत्वों से निर्मित एक परिपूर्ण मूर्ति

स्वयं के उद्धार की संस्कृति से संस्कारित
मुक्तिपथ के ज्ञान बोध से भिज्ञ

सत्यम शिवम् सुन्दरम के सत्य से आल्हादित
साकार ब्रह्म स्वरूप अवतार हैं हम

स्वयं को संयमित करने की असीम ऊर्जा से ओतप्रोत
कुदरत का अनुपम उपहार हैं हम

तूफाँ में भी आशा का दीपक रोशन कर लेते हैं हम
गिरते हैं , सँभलते हैं उठकर फिर बढ़ चलते हैं हम

हारने की पीड़ा की जद्दोजहद में नहीं फंसते
एक नए आशियाँ की  तलाश में अग्रसर हो लेते हैं हम

क्यूं कर न करें एहसास  स्वयं के अस्तित्व का
स्वयं की खोज का उद्देश्य लिए जी रहे हैं हम

खुदा है परमात्मा है इस एहसास को महसूस करने की आरज़ू है हमारी
खुद को आध्यात्मिकता की राह पर लिए जा रहे हैं हम

कुदरत की नेमत , कुदरत का अनमोल उपहार है  हम
खुद को पिरो लेते हैं संस्कारों की माला में हम

हर एक शख्स उस खुदा का नूर और उसकी शख्सियत का एहसास
सच कहें तो पूरी की पूरी कुदरत और उसका एकमात्र सत्य हैं हम


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