Monday, 15 June 2020

पिघलते बादलों का इंतज़ार है मुझे


पिघलते बादलों का इंतज़ार है मुझे

पिघलते बादलों का इंतज़ार है मुझे
भीगती बयार का इंतज़ार है मुझे

सजाये हैं प्रकृति से , आलिंगन के सपने
बादलों के बरसने का , इंतज़ार है मुझे

भिगूंगा मैं और भीगेगा, मन का हर एक कोना
झर  - झर करते  झरनों  का , इंतज़ार है मुझे

प्रकृति  के नजारों से कर लूंगा , भाव विभोर खुद को
पुष्पों के संवरने का , इंतज़ार है मुझे

खुद को पावन करने की आस लिए जी रहा हूँ मैं
पावन सलिला के कल  - कल करने का इंतज़ार है मुझे

प्रकृति के मनोरम दृश्यों से पोषित करने की चाह लिए दिल में
वसंत के आगमन का , इंतज़ार है मुझे

जीवन को पूर्णतः जीने की आस में
एक खुशनुमा सुबह का , इंतज़ार है मुझे

मेरी जिन्दगी कुदरत की नायाब कलाकृति हो जाए
जिन्दगी के जीवन के सत्य से गुजरने का , इंतज़ार है मुझे

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