Sunday 28 June 2020

क्या कहिये


क्या कहिये

वो कहते हैं कि रहते हैं वो हर एक के दिल में
फिर भी एक दूरी है दिलों के बीच, क्या कहिये

उन्हें गुमां है अपने “रिश्ता  - ए  - वफ़ा “ पर     
फिर भी बहक जाते हैं कदम , क्या कहिये

अपनी मुहब्बत का दंभ भरते हैं वो लैला  - मजनू की तरह
छोटी  - छोटी बातों पर बना लेते हैं दूरियां , क्या कहिये

ढूंढता फिरता है वो सारी दुनिया में खुदा का बन्दा
खुद पर उसे एतबार नहीं , क्या कहिये

खुद को समझता है वो , इस देश का एकमात्र सपूत
वतन पर कुर्बान होने की सोच काँप उठता है वो, क्या कहिये

जिन्दगी भर साथ चलने का वादा कर दोस्त बन जाते हैं कुछ लोग
मुसीबत के दौर में बदल लेते हैं राह, क्या कहिये

धारणाओं का एक समंदर रोशन कर लेते हैं कुछ लोग
वास्तविकता के धरातल पर ढेर हो जाते हैं, क्या कहिये

खुदा को ढूंढते फिर रहे हैं वो जमाने में
खुदा बसता है आशियाने में उन्हें एहसास नहीं , क्या कहिये

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