Sunday, 28 June 2020

अंदाज़े - बयाँ


अंदाज़े  - बयाँ

बेवजह बेसबब आँखें नम  हो जाया नहीं करतीं
कभी ख़ुशी कभी गम के साए तले छलक जाती हैं ये

कभी रिश्तों की बज़्म जिन्दगी , कभी जीवन का उल्लास जिन्दगी
कभी ग़मों के साए में उलझती , कभी खुशियों का विस्तार जिन्दगी
आशियाने में हो हरियाली , दिलों में मुहब्बत जगा के रख
जिन्दगी में हो हरियाली , खुद को खुद से बचा के रख

मेरी आँखों का नम होना , मेरे ग़मों का सैलाब नहीं
कभी  - कभी मेरे आंसू मेरे गम में मरहम हो जाया करते हैं

चोरी करने का शौक है तो किसी के गम चुरा के देख
तेरी जिन्दगी को नसीब होगा उस खुदा का करम

तेरी जिन्दगी में खुशियाँ तेरी जिन्दगी का मकसद हो जाएँ 
किसी के गम तेरी जिन्दगी का मकसदे  - इबादत हो जाए

किसी की राह में कांटे नहीं , फूल बिछाकर देखो
गीत इंतकाम के नहीं , मुहब्बत के गुनगुनाकर देखो

उन्हें मालूम ही न था , उनके जीने का सबब
इंसानियत की राह ने उन्हें मकसदे  - जिन्दगी से कराया रूबरू

कलम


कलम

मैं कलम से अलख जगाता हूँ
जगाता हूँ सोये हुए भाग्य

पीर दिलों की मिटाता हूँ
जगाता हूँ चेहरे पर मुस्कान

संवेदनाओं का समंदर करता हूँ रोशन
भटकों को राह दिखाता हूँ

रिश्तों का एक कारवाँ करता हूँ रोशन
लोगों को एक दूसरे के करीब लाता हूँ

खिलाता हूँ खुशियों के फूल जीवन के उपवन में
डूबते हुओं को मंजिल तक पहुंचाता हूँ

रूठे हुओं को मनाता हूँ
मुहब्बत का एक कारवाँ सजाता हूँ

अँधेरी कोठरी में कैद कर लिया है जिन्होंने खुद को
उनके जीवन में उम्मीद का दीपक जलाता हूँ

गीत जिन्दगी के लिखता हूँ अपनी कलम से
खुशनुमा जिन्दगी के गीत गुनगुनाता हूँ

मेरी कलम के चाहने वालों का आशीर्वाद है मुझ पर
जिन्दगी के थपेड़ों से नहीं घबराता हूँ

मेरी कलम को है उस खुदा पर एतबार
जो भी लिखता हूँ इबादत समझ गुनगुनाता हूँ

क्या कहिये


क्या कहिये

वो कहते हैं कि रहते हैं वो हर एक के दिल में
फिर भी एक दूरी है दिलों के बीच, क्या कहिये

उन्हें गुमां है अपने “रिश्ता  - ए  - वफ़ा “ पर     
फिर भी बहक जाते हैं कदम , क्या कहिये

अपनी मुहब्बत का दंभ भरते हैं वो लैला  - मजनू की तरह
छोटी  - छोटी बातों पर बना लेते हैं दूरियां , क्या कहिये

ढूंढता फिरता है वो सारी दुनिया में खुदा का बन्दा
खुद पर उसे एतबार नहीं , क्या कहिये

खुद को समझता है वो , इस देश का एकमात्र सपूत
वतन पर कुर्बान होने की सोच काँप उठता है वो, क्या कहिये

जिन्दगी भर साथ चलने का वादा कर दोस्त बन जाते हैं कुछ लोग
मुसीबत के दौर में बदल लेते हैं राह, क्या कहिये

धारणाओं का एक समंदर रोशन कर लेते हैं कुछ लोग
वास्तविकता के धरातल पर ढेर हो जाते हैं, क्या कहिये

खुदा को ढूंढते फिर रहे हैं वो जमाने में
खुदा बसता है आशियाने में उन्हें एहसास नहीं , क्या कहिये

प्रकृति की हर एक पात में तू


प्रकृति की हर एक पात में तू

प्रकृति की हर एक पात में तू
गीता , बाइबिल , शब्द ग्रन्थ, कुरआन में तू

बस रहा प्रकृति के हर एक कण में
कृष्ण , क्राइस्ट , सच्चे बादशाह , अल्लाह में तू

प्रकृति के आँचल का नूर है तू
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरद्वारे में तू

हर एक जीव में जीवात्मा में तू
कहीं झोपड़ी कहीं महलों में बसता है तू

कहीं किसी की आह में तो कही किसी की वाह में तू
जल में , धरा पर , अम्बर में , पाताल में तू

शब्दों के आकार में , किताब में तू
विचारों की चर्चा पर वाद  - विवाद में तू

पीर जिनकी मिटाए , उनकी दुआओं में तू
जो तुझे समझ नहीं पाते , उनकी आहों में तू

कहीं साकार कहीं निराकार है तू
कहीं बदल बन बरसे तो कहीं आग है तू

दिन के उजाले तो रात के अँधेरे में है तू
खुशियों की बेला में तो कभी ग़मों के एहसास में तू

मानवता के ज़ज्बे , इंसानियत के एहसास में तू
प्रार्थना, इबादत, दुआओं के समंदर में पतवार है तू


हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन


हे पिता,करूँ मैं  तेरा वंदन 


तुमसे रोशन दुनिया मेरी
तुमसे रोशन जीवन मेरा

पथ प्रदर्शक थे तुम मेरे
तुमसे रोशन आशियाँ  मेरा


हे पिता अभिनन्दन तुम्हारा
तुमसे ही था घर उजियारा

शिक्षा का आधार तुम्हीं थे
संस्कारों का विस्तार तुम्हीं थे

पल्लवित हुई संस्कृति तुम्हीं से
घर आँगन गुलज़ार तुम्हीं से

जीवन का आकार तुम्हीं से
जीवन का विस्तार तुम्हीं से

हो रहा आज मेरा अभिनन्दन
ये सब है एकमात्र तुम्हीं से

तुमसे ही पावन कर्म हमारे
तुमसे रोशन सत्कर्म हमारे

धर्म का विस्तार थे तुम
एक सद्चरित्र आधार थे तुम

तेरे आशीर्वाद की धरोहर
हर एक कर्म हो गया मनोहर

सबके दुःख का भान तुम्हें था
क्रोध का नामो  - निशान नहीं था

पीर हमारी हर लेते थे
घर खुशियों से भर देते थे

हे  पिता मैं  करूँ तेरा वंदन
सिर माथे का हो जाए चन्दन

यादों में अब भी बसते हो
अब भी मुझको प्रेरित करते हो

आपका आशीर्वाद बनाए रखना
जीवन को दिशा दिखाए रखना

हे पिता मैं बालक तेरा
अवगुण मेरे क्षमा करना

रखना मुझको अपने चरणों में
पावन मेरा जीवन करना

तुझको मैं भगवान् है जानूं
अपनी कृपा से पोषित करना


तेरे चरणों का लिए सहारा


तेरे चरणों का लिए सहारा

तेरे चरणों का लिये सहारा
जीवन पथ पर बढ़ जाऊं मैं

पार लगाना नैया मेरी
भक्ति राह पर बढ़ जाऊं मैं

पावन करना कर्म सभी तुम
शुद्ध चित्त बलि जाऊं मैं

पीड़ा हरना प्रभु तुम मेरी
चरण कमल पर बलि जाऊं मैं

तुझ पर प्रभु अधिकार हो मेरा
विश्वास राह पर बढ़ जाऊं मैं

तुझको पाना अभिलाषा मेरी
भक्ति राह पर बलि जाऊं मैं

पावनता की सीमा न हो
प्रभु चरणों पर बलि जाऊं मैं

तुझसे सभी आशाएं मेरी
मुक्ति राह पर बलि जाऊं मैं

तुमने मुझ पर किया भरोसा 
भक्ति मार्ग पर बढ़ जाऊं मैं

जीवन चक्र से मुक्ति दिला दो
मोक्ष राह पर बढ़ जाऊं मैं



Monday, 15 June 2020

कोई बताये हमें


कोई बताये हमें

कभी कोरोना कभी सुनामी  , कभी भूकंप से हो रहे रूबरू हम
कभी दंगों की पीड़ा , कभी मजदूरों की पीड़ा से रूबरू हो रहे हम

वक़्त क्यों रूठ गया हमसे, कोई बताये हमें
बहुत कुछ छूट क्यों गया हमसे , कोई बताये हमें

कहीं गिरा दी गयी सरकार, कहीं सरकार गिराने की तैयारी
क्यूं कर मर रहे ये नेता कुर्सी  के लिए , कोई बताये हमें

कुछ कटे रेल के नीचे , कुछ कुचले गए सड़कों पर
इंसानियत की ये दुर्दशा क्यूं है , कोई बताये हमें

चौरासी दिन बाद वो नेता निकला अपनी गुफा के बाहर
इन्हें अपनी मौत का इतना डर क्यूं , कोई बताये हमें

किसी ने लूटा किसी ने कूटा , किसी ने नोचा जी भर
मानवता इतनी तार  - तार हुई क्यों , कोई बताये हमें

गरीब क्या पैदा होता है सिर्फ मरने के लिए
मानवता के दुश्मन नेताओं को मौत क्यूं नहीं आती, कोई बताये हमें

उनकी पीड़ा उनकी दुर्दशा पर , मेरी कलम ने रोये हज़ारों  आंसू
राजनीति के आका नींद से जागते क्यूं नहीं , कोई बताये हमें

किसी ने बताया एक मजदूर का बच्चा मजदूर की छाती से चिपक कर मरा
जिन्दगी की जंग में बच्चे क्यूं हुए निढाल , कोई बताये हमें

वो खुद को कहते हैं 135 करोड़ जनता का खैरख्वाह
इस त्रासदी  में बंगले के बाहर इनकी शक्ल नज़र क्यूं नहीं आती, कोई बताये हमें