Friday 17 April 2020

आकाश से ऊंची


आकाश से ऊंची

आकाश से ऊंची हौसलों की, उड़ान हो तेरी
आसमान से ऊंची मंजिल, पहचान हो तेरी

तेरे प्रयासों का परचम लहरे, मिले तेरे सपनों को मंजिल
बचपन को संजोये रखना , ख्वाहिश हो तेरी

तेरी कोशिशों तेरे प्रयासों को मिले एक अदद आसमान
जिन्दगी की ओर उम्मीद भरी ,निगाह हो तेरी
तेरी हर एक आरज़ू तेरी कोशिश से होकर गुजरे
यूं ही न तू भटके , सपनों पर आस हो तेरी

हर पल हर क्षण तू महके , मंजिल पर आस हो तेरी
तेरे पंखों को उड़ान मिले, आसमां पर निगाह हो तेरी

चंद कोशिशों को न समझना तू अपनी मंजिल का हमसफ़र
कोशिशों का एक समंदर रोशन करना एक अदद चाह हो तेरी

जिदगी फूलों का उपवन हो , महकाए जिन्दगी तेरी
इस गुलशन में नाम हो तेरा , खुशबू से भरी जिन्दगी हो तेरी

तेरे चाहने वालों का एक कारवाँ हो रोशन
तेरी शख्सियत तेरा ईमान , जिन्दगी का आईना हो तेरी


2 comments:

  1. हे कलम के सिपाही, नमस्कार हो स्वीकार ।
    कविताओं का है,अनन्त विस्तार ।
    मन से उपजी होगी,बन‌के ये साकार ।
    कविताएं ही बन गई हैं ,
    स्वयम् आप की पहचान ।
    तस्वीर बनाए क्या कोई ,
    क्या कोई लिखे , तुमपॆ कविता ।
    रंगों - छन्दों में समाये ना,
    ऐसी हैं इनकी सुन्दरता ।।

    राजेश कुमार सिंह
    पुस्तकालयाध्यक्ष
    केन्द्रीय विद्यालय
    लखीमपुर-खीरी
    पिन - 262701
    दूरभाष :9451330232

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया राजेश जी

      Delete