कोरोना
इंसानियत की
आजमाईश है कोरोना
कहता है कोरोना कहता है कोरोना
अपने बड़ों का
सम्मान कर न
एक दूसरे को
नमस्ते और राम - राम करो न
उड़ा ले जाऊंगा मैं
तुमको सूखे पत्तो न की तरह
स्वयं पर अभिमान
करो न
संस्कृति ,
संस्कारों पर विश्वास धरो न
एक दूसरे पर अविश्वास
करो न
रिश्तों की डोर की
पकड़ को बनाए रखो
इंसानियत का ज़ज्बा
बनाये रखो न
मुसीबत के इस
दौरे - कोरोना में
उस खुदा पर एतबार
करो न
कहता है कोरोना
कहता है कोरोना
धर्म कर्म की राह
चलो न
वर्णशंकर प्रजाति
से
इस धरा को
प्रदूषित करो न
अपने धर्म पर विश्वास करो न
मंदिर, चर्च,
गुरूद्वारे और मस्जिद तेरे लिए हैं
उस खुदा से अपना
दर्द
एक बार कहो न
चंद पुष्प उसके
चरणों में अर्पित कर दो
और उस खुदा से
गुजारिश करो
इस कोरोना से हमें
मुक्त करो न
इस कोरोना से हमें मुक्त करो न
इस कोरोना से हमें
मुक्त करो न
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