मेरी तन्हाइयों को अपना बना ले कोई
मेरी तन्हाइयों को अपना बना ले कोई
मेरी स्याह रातों को रौशनी से सजा दे कोई
मेरी सिसकती सांसों को सुकूँ दे कोई
मेरी जिन्दगी को रंगों से सजा दे कोई
मेरे गुलशन में भी मुहब्बत के फूल खिला दे कोई
मेरी जिन्दगी को खुशबू से सजा दे कोई
मेरे घर के आँगन में भी दो चार फूल खिला दे कोई
मेरे भी घर को मुहब्बत का आशियाँ बना दे कोई
मेरी चाहतों को पंखों से सजा दे कोई
मुझे भी आसमां की सैर करा दे कोई
मेरी आरज़ू को अपने करम का सिला दे कोई
मेरी जिन्दगी को कामयाबी का मुकाम दे कोई
मेरे ख़्वाबों को खुशियों से रोशन कर दे कोई
मेरी जिन्दगी को उस खुदा की अमानत बना दे कोई
मेरी कोशिशों को इंसानियत की राह दिखा दे कोई
मुझे उस खुदा का शागिर्द बना दे कोई