Tuesday, 23 January 2018

मानव मन

मानव मन

मानव मन इत--उत क्‍यों भटके
सच की राह ये क्‍यों न पकड़े

चंचल मन इत - उत क्‍यों डोले
सच की राह ये क्यों न दौँड़े

भोग विलास इसे क्यों भाये
सच की राह पर ये क्‍यों न जाए

मानव मन इतना क्‍यों भोला
सच की राह से हर दम डोला

मानव मन को स्थिरता नहीं भाती
सच की रह इसे सही न जाती

मन को हम समझाएं कैसे
सच की राह पर लायें कैसे

मन को पावन किस तरह बनाएं
सच की राह किस तरह दिखाएँ

मन की सुन्दरता, तन की सुन्दरता
इसे स्वयं से मोह सिखाएं

सच के मार्ग का , बना के राही
इसको सच का परिचय कराएं

जीवन एक संघर्ष क्षेत्र है
इसको इसका बोध कराएं






नारी


समय की रेखा पर . बदलती  नारी

समय की असहजता को , पीछे छोड़
स्वयं को मुखरित , करती नारी

समय की रेखा पर , बदलती  नारी
सामाजिक बेड़ियों को , पीछे छोड़ती

वर्तमान सामाजिक परिवेश से . आंखें मित्राती
सामाजिक कुरीतियों को . हराती नारी

समय की रेखा पर , बदलती नारी
रोशन करती जिंदगियां . खुशियाँ बनकर

अपने दामन में समेटे , प्यार का समंदर
समर्पण का भाव जगाती नारी

समय की रेखा पर , बदत्नती नारी
कहीं बहन , कहीं पत्नी , तो कहीं बेटी

खुद को जिन्दगी के , हर पालने  में झुलाती 
हर एक चरित्र  में , एहसास जगाती नारी

समय की रेखा पर , बदत्नती नारी
कभी गीत बनकर संवरती, कभी गज़ल  हो जाती

हर एक आरजू उसकी , उसका धर्म हो जाती
संस्कृति ऑर संस्कारों की माला में , खुद को पिरोती नारी

समय की रेखा पर . बदलती  नारी




नाकामियों के दौर से

नाकामियों के दौर से

नाकामियों के दौर से , खुद को बचाकर
आशाओं का एक कारवाँ रोशन करें ,तो अच्छा हो

असफलताओं के दौर से गुजरकर
उम्मीद का एक दीपक रोशन करें ,तो अच्छा हो

गिरते हैं शेरे - सवार ही मैदाने जंग में
गिरकर भी जोश बरकरार रखें ,तो अच्छा हो

क्या करें खुद से गिला , खुद की नाकामियों से
खुद की कोशिशों पर एतबार करें , तो अच्छा हो

दो चार गम भी मिलें , तो उफ कैसी
अपनी कोशिशों को अपनी जागीर कर लें , तो अच्छा हो

कायरों की तरह डरकर , पीछे हटना कैसा
अपने प्रयासों से खुद को बुलंद कर लें, तो अच्छा हो

खुद को बताओ अपना दोस्त , न समझो दुश्मन
अपने भीतर के दुश्मन को मिटा के आगे बढ़ों , तो अच्छा हो

नाकामियों के दौर से , खुद को बचाकर
आशाओं का एक कारवाँ रोशन करें ,तो अच्छा हो






नववर्ष का हुआ आगमन

नववर्ष का हुआ आगमन

नववर्ष का हुआ आगमन , बीती बातें भुलाएँ चलो
रूठे हैं जो रिश्ते बरसों से , उन्हें मनाएं चलो

क्‍यों कर करें गिले - शिकवे , छोटी - छोटी बातों पर
क्यों न रोशन करें , मुहब्बत का एक कारवोँ सजाएं चलो

माता -पिता से लें आशीर्वाद , भाई बहन का प्यार
संस्कृति और संस्कारों की , एक सरिता बहायें चलो

कुछ गीत मैं लिखूं, कुछ गीत तुम लिखो इंसानी रिश्तों पर
इस दुनिया को आगे बढ़कर , इंसानियत से रूबरू कराएं चलो

मन को एकाग्र करें और करें विचार शक्ति का विकास
स्वयं को अभिव्यक्त करने का माध्यम सुझाएँ चलों

प्रार्थना उस परमेश्वर की, और उसका ध्यान
इस जीवन को उस खुदा की अमानत बनाएं चलो

आत्मविश्वास से स्वयं को करें पोषित. और बल - शक्ति से संपन्‍न
इन्हें अपने लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग बनाएं चलो

भाग्य को अपने बस में करें , और इच्छा शक्ति को प्रबल
स्वयं को स्वयं के मोक्ष मार्ग का राही बनाएं चलो

गर सुख है स्वयं को सदचरित्र पोषित करने में
अपने चरित्र को अपने जीवन का सच्चा मित्र बनायें चलो

कर्तव्य राह को समझें , अपनी जिन्दगी का आधार
इसे अपनी मंजिल की ओर बढ़ने का अस्त्र बनाएं चलो

शिक्षा और ज्ञान से हर पल स्वयं को करें पोषित
इसे ही अपनी सफलता का आधार बनाएं चलो

प्रेम और निस्वार्थ सेवा को करें अपने जीवन की पूँजी
क्यों कर इस अमूल्य धरोहर को गंवाएं चलो

सच्चा सुख राष्ट्र धर्म और धर्म के प्रति आस्था में
स्वयं को देश की धरोहर और धर्मपुत्र बनायें चलो

खुद से करो प्यार, खुद को करो नैतिक विचारों से पोषित 
लोगों के लिए खुद को , एक आदर्श बनाएं चलो






जिन्दगी ग़ज़ल हो जाए (ग़ज़ल)

जिन्दगी गज़ल हो जाये (ग़ज़ल)

जिन्दगी ग़ज़ल हो जाये, चलो खुद से वादा करें
जिन्दगी का हर पल इबादत हो जाए, चलो ये इरादा करें

गीत बनकर सज जाएँ लबों पर, चलो कुछ ऐसा इरादा करें
जगा लें अपने सीने में इंसानियत का समंदर, चलो खुद से ये वादा करें

उस खुदा की राह में कर दें खुद को निसार, चलो ये पाक इरादा करें
“उसके “ नूर की परछाई से रोशन हो अपनी दुनिया, चलो ऐसा कुछ इरादा करें

ख्वाहिशों का एक समंदर हो सके रोशन, चलो खुद से ये वादा करें
खुश्क चेहरों को भी करेंगे मुस्कान से रोशन , चलो खुद से ये वादा करें

उम्मीद का दामन लिए बढ़े चलेंगे हम, चलो ये पाक इरादा करें
कामयाब करेंगे अपने हर एक प्रयास को हम, चलो ऐसा कुछ इरादा करें

नामुमकिन को मुमकिन करने का ज़ज्बा दिल में हो रोशन , चलो ऐसा खुद से वादा करें
नवाज़िश उस खुदा की आर एक कोशिश पर हो मेरी, चलो ऐसा पाक इरादा करें

निस्बत उस खुदा से, उस खुदा के बन्दों से हो, चलो ऐसा कुछ इरादा करें
पाकीज़ा हो मेरी हर सोच, इबादत बन निखरे, चलो ऐसा पाक हरादा करें

परवरिश में उस खुदा की , जिन्दगी का बीते हर पल , चलो कुछ ऐसा वादा करें
उस खुदा के फज़ल से, रोशन हो जिन्दगी का हर पल , चलो ऐसा पाक हरादा करें






दीपों की रौशनी से

दीपों की रोशनी से

दीपों की रोशनी से
रोशन हो घर आँगन

दीपों की लड़ियों से
पावन और उजले हों मन

मन का अंधियारा मिटे
प्रफुल्लित हों जाएँ मन

घर -घर दीवाली हो
रिश्तों में बंधें - बंधन

घर - घर राम नाम गूंजे
लक्ष्मी बरसे घर ऑगन

खुशियों की बहार आये
खिल उठें बालमन

आओ हम मिल मनाएं
रोशनी का उत्सव पावन

सौंहार्द की शुभकामना करें
रोशन हो घर आँगन





क्षणिकाएं


१.

जब तुम्हारे विचार पवित्र से पवित्रतम होने लगें
जब तुम्हारे कर्म पावन से पावनतम की ओर बढ़ने लगें
जब तुम्हारी कोशिशें श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम होने लगें
तब तुम यश प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रहे हो , यह समझ लेना

२.

जब तुम्हारा रूप सुन्दर से सुन्दरतम को प्राप्त करने लगे
जब तुम्हारा स्पर्श कोमल से कोमलतम का एहसास करने लगे
जब लोग तुम्हें महान से महानतम की श्रेणी में शामिल करने लगें
तब तुम सबके लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हो, यह समझ लेना

3.

जब तुम फर्श से उठ अर्श की ओर बढ़ने लगो
जब तुम्हारे सद्विचार उत्कर्ष को प्राप्त करने लगें
जब तुम उत्कृष्ट से उत्कृष्टतम की ओर बढ़ने लगो
तब तुम उस परमात्मा की अनुपम कृति बन संवर रहे हो, यह समझ लेना

4.

जब तुम्हारी सोच उच्च से उच्चतम की ओर बढ़ने लगे
जब तुम्हारा विश्वास इृढ़ से दृढ़तम का एहसास कराने लगे
जब तुम्हारी सामाजिकता घनिष्ट से घनिष्टतम का बोध कराने लगे
तुम्हारी कीर्ति से सभी अभिभूत हो रहे हैं, यह समझ लेना