Friday, 17 April 2020

कोरोना


कोरोना

किसी गरीब से पूछो कोरोना का असर
दाने  - दाने को मोहताज़ , जिन्दगी का सफ़र

अपनों से दूर कर रहा , जिन्दगी की तलाश
एक वायरस से बिछा दी हज़ारों  - हज़ारो   लाश

अन्न की कीमत समझने का ये अजब मंज़र
खूब याद आते हैं वो मंदिर, गुरद्वारों के लंगर

आज हर एक पात में ईश्वर के नाम की झंकार है
हर एक शख्स कर रहा दुआ , दुआओं का अंबार है

टूटती साँसों के बीच , अपनों से बिछुड़ने का गम
बिखरती लाशों के बीच , अजीब उदासी का ये मंजर

आदमी की तरक्की का , आदमी को मिला ये सिला
जिन्दगी की भाग दौड़ में , आदमी आदमी न रहा

भौतिक जगत के विकास में , ईश्वर की तलाश कहाँ
टुकड़े  - टुकड़े बिखर रहा मानव, विकास की बयार कहाँ

अपने ही अस्तित्व पर , मानव का ये कैसा प्रहार
खुद पर किया विश्वास , खुदा पर न किया एतबार



कोरोना


कोरोना

कोरोना ने बाँध दी है मेरे पैरों में ज़ंजीर
ऐ खुदा तेरे दीदार की आरज़ू , करें भी तो करें कैसे

कोरोना ने कुतर दिए हैं पर सबके
क्यूं कर एक दूसरे की मौत का सामान हो जाएं

कोरोना के रिश्तों को निभाने का क्या अजब समां बांधा है
साथ ही नसीहत दी है रिश्तों को बचाए रखने की

कोरोना की जंग में रखें ख्याल एक दूसरे का सब
दुनिया को बचाए रखने का यह वाजिब ख्याल हो सबका

कोरोना ने जो चोट दी है सदियों याद रहेगी सबको
खुदा की इस खूबसूरत कायनात से खेलने का सिला मिला है सबको

कोरोना से जो लड़ रहे हैं जंग, सलाम है उनको
उनकी हर एक कोशिश पर हो खुदा का करम ये आरज़ू है मेरी

कोरोना ने जो नश्तर चुभोये हैं पाक दिलों में
इस वायरस को जहन्नुम नसीब हो ये दुआ है मेरी

कोरोना ने इंसान को दिया है कुछ सबक इस त्रासदी से
कुछ वक़्त खुद के लिए और कुछ वक़्त उस खुदा की इबादत के लिए निकाल




कोरोना


कोरोना

         मंदिर मस्जिद चर्च और गुरद्वारों पर पड़े हैं ताले
तुझे ढूंढें तो कहाँ , ऐ दुनिया के रखवाले

पीर दिल की बयां करे तो किसको करे कोई
अपनी एक झलक दिखला जा ऐ दुनिया के रखवाले

कोरोना की मार का दर्द तुझसे छिप सकता नहीं
अपने बन्दों पर करम कर , ऐ दुनिया के रखवाले

माँ की चीख , स्त्री का रुदन , तुझे भी परेशां करता होगा
अपनी शख्सियत का जलवा दिखा जा , ऐ दुनिया के रखवाले

तुझसे अपने रिश्तों की दुहाई दे रहा हर एक शख्स
सबके दर्द को अपना दर्द समझ , ऐ दुनिया के रखवाले

तरस रहे एक – एक निवाले को तेरे चाहने वाले
उन सबकी भूख मिटा जा , ऐ दुनिया के रखवाले

क्यूं कर टूट जाए , ये साँसों का सफ़र
जीने की प्यास जगा जा , ऐ दुनिया के रखवाले

क्यूं कर टूट रही जीने की हर एक आस इस त्रासदी में
कोरोना के इस त्रास में जीने की आस जगा जा , ऐ दुनिया के रखवाले



कोरोना


कोरोना

पीर दिल की सुनाऊँ कैसे , दर्दे  - दिल से मिलाऊँ कैसे
कोरोना की इस त्रासदी से , इस जहां को बचाऊँ कैसे

कलम मेरी हज़ारों – हज़ारों आंसू रो रही है
पीर दिलों की मिटाऊँ कैसे , कोरोना से इस जहां को बचाऊँ कैसे

चीखों का एक समंदर रोशन किया एक वायरस ने
माँ को बेटे से , भाई को बहिन से मिलाऊँ कैसे

आँखों में बस रहा डर , बढ़ रही दिलों की धड़कन
अजब इस डर के भंवर में ,  ढाढस मैं बंधाऊं कैसे

अजब सन्नाटा पसरा हर शहर हर गली में , गीत मिलन के कैसे हों रोशन
रुक रही  सबकी साँसें पल  - पल , जीवन ज्योति जगाऊँ कैसे

देवालयों में पसरा सूनापन, मस्जिद चर्च गुरद्वारे भी सूने
प्रभु कृपा हो जाए हम सब पर, तुम्हें प्रभु मैं मनाऊँ कैसे

आँगन सूने दिल भी सूने , रिश्तों के गलियारे सूने
बाट जोह रही उस माँ को , ढाढस मैं बंधाऊं कैसे

बहनों का श्रृंगार है रूठा , सीमा पर जवान है डटा
रिश्तों की इस पावनता के गीत मैं सजाऊँ कैसे


कोरोना


कोरोना

पड़ रही कोरोना की मार
चहुँ ओर मची है हाहाकार
मानवीय भूल का ये परिणाम
चहुँ ओर हो रही चीख पुकार
सामाजिकता पर भारी कोरोना
चाहकर भी  एक दूसरे से मिलो न  
 सोशल डिसटेनसिंग का ख्याल रखो न
क्यूं कर हम घरों से निकलें
क्यूं न कुछ पल संग में बीतें
बेवजह न घर से निकलो
अपनी और अपनों की परवाह करो न
देश हित में कुछ तो सोचो
समाज के हित प्रयास करो न
नेताओं से तुम्हें क्या लेना
उनसे कुछ उम्मीद करो न
पैसे वालों को फ्लाइट सेवा
मजदूरों से इनको क्या लेना
अपने दम पर लड़ना होगा
कोरोना को मिटाना होगा
संभल  - संभल कर रहना होगा
सोशल ग्रुप पर मिलना होगा
फेक न्यूज़ बिल्कुल न सुनना
डॉक्टरी राय को हर क्षण गुनना
घर से बाहर बिलकुल न आना
आना जो पड़े तो मास्क लगाना
स्वयं सुरक्षा करना होगा
कोरोना को मिटाना होगा
प्रकृति से खिलवाड़ करो न
उसको तुम नाराज़ करो न
 जब  - जब तुम दंभ दिखाओगे
कोरोना को सामने पाओगे
स्वस्थ समाज बनाना होगा
घर  - घर अलख जगाना होगा
मानव तुम मानव ही रहना
परमेश्वर को नाराज़ करो न
धरती को स्वर्ग बनाना होगा
आया इतिहास रचाना होगा
कोरोना को मिटाना होगा
कोरोना को मिटाना होगा
कोरोना को मिटाना होगा

आकाश से ऊंची


आकाश से ऊंची

आकाश से ऊंची हौसलों की, उड़ान हो तेरी
आसमान से ऊंची मंजिल, पहचान हो तेरी

तेरे प्रयासों का परचम लहरे, मिले तेरे सपनों को मंजिल
बचपन को संजोये रखना , ख्वाहिश हो तेरी

तेरी कोशिशों तेरे प्रयासों को मिले एक अदद आसमान
जिन्दगी की ओर उम्मीद भरी ,निगाह हो तेरी
तेरी हर एक आरज़ू तेरी कोशिश से होकर गुजरे
यूं ही न तू भटके , सपनों पर आस हो तेरी

हर पल हर क्षण तू महके , मंजिल पर आस हो तेरी
तेरे पंखों को उड़ान मिले, आसमां पर निगाह हो तेरी

चंद कोशिशों को न समझना तू अपनी मंजिल का हमसफ़र
कोशिशों का एक समंदर रोशन करना एक अदद चाह हो तेरी

जिदगी फूलों का उपवन हो , महकाए जिन्दगी तेरी
इस गुलशन में नाम हो तेरा , खुशबू से भरी जिन्दगी हो तेरी

तेरे चाहने वालों का एक कारवाँ हो रोशन
तेरी शख्सियत तेरा ईमान , जिन्दगी का आईना हो तेरी


कोरोना


कोरोना

इंसानियत की आजमाईश है कोरोना
 कहता है कोरोना कहता है कोरोना
अपने बड़ों का सम्मान कर न
एक दूसरे को नमस्ते और राम  - राम करो न
उड़ा ले जाऊंगा मैं तुमको सूखे पत्तो न की तरह
स्वयं पर अभिमान करो न
संस्कृति , संस्कारों पर  विश्वास धरो न
एक दूसरे पर अविश्वास करो न
रिश्तों की डोर की पकड़ को बनाए रखो
इंसानियत का ज़ज्बा बनाये रखो न
मुसीबत के इस दौरे  - कोरोना में
उस खुदा पर एतबार करो न

कहता है कोरोना कहता है कोरोना

धर्म कर्म की राह चलो न
वर्णशंकर प्रजाति से
इस धरा को प्रदूषित करो न
अपने धर्म पर  विश्वास करो न
मंदिर, चर्च, गुरूद्वारे और मस्जिद तेरे लिए हैं
उस खुदा से अपना दर्द
एक बार कहो न

चंद पुष्प उसके चरणों में अर्पित कर दो
और उस खुदा से गुजारिश करो
इस कोरोना से हमें मुक्त करो न
 इस कोरोना से हमें मुक्त करो न
इस कोरोना से हमें मुक्त करो न