Sunday, 9 June 2019

तिनका – तिनका


तिनका – तिनका

तिनका  - तिनका जोड़ कर एक महल बनाया था
आंधी आई एक पल में, सब कुछ बिखर गया

तिनका – तिनका जी रहा हूँ , उम्मीदों के सागर में
मेरी कोशिशों , मेरे प्रयासों को न लगे किसी की नज़र

तिनका – तिनका कोशिश कर , तुम महल सजा लेना
अपनी चाहतों का एक खुशनुमा आशियाँ सजा लेना

तिनका – तिनका प्रयासों को अपनी जागीर बना
खिल उठेगी एक नई सुबह, तेरे भी जीवन में

तिनका  - तिनका सहेज रहा हूँ अपनी जिन्दगी के पल
क्या जाने कब ? , जिन्दगी की शाम हो जाए

तिनका – तिनका सजा रहा हूँ अपनी आरज़ू का महल
मेरी इस आरज़ू को खुदा की इनायत नसीब हो जाए


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