मैं खुद को संवार लूंगा
मैं खुद को संवार लूंगा ,
ये यकीं है मुझे
मैं तुम्हारी राह के कांटे
चुरा लूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं तेरे सपने संवार दूंगा ,
ये यकीं है मुझे
मैं खुद को भी संभाल लूंगा ,
ये यकीं है मुझे
आसमां को अपनी मंज़िल कर
लूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं अपनी आवाज़ बुलंद कर
लूँगा , ये यकीं है मुझे
अपनी कलम को खुदा की इबादत
कर दूंगा , ये यकीं है मुझे
मेरे गीत, मेरी ग़ज़ल लोगों
की जुबां पर होंगे , ये यकीं है मुझे
अपना खुद का आसमां संवार
लूंगा , ये यकीं है मुझे
मेरी हर एक आरज़ू उस खुदा की
नेमत हो जाए , ये यकीं है मुझे
मैं मना ही लूंगा उस खुदा
को एक दिन , ये यकीं है मुझे
हर एक मुसीबत में खुद को
संभाल लूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं गीतों का एक कारवाँ सजा
लूंगा , ये यकीं है मुझे
मेरी हर एक उम्मीद को होगा
आसमां नसीब , ये यकीं है मुझे
मेरे भी दामन में खुशियाँ
बिखर आयेंगी , ये यकीं है मुझे
मैं इंसानियत का एक समंदर
रोशन कर दूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं अपनी भीगी नम आँखों में
मुस्कान भर दूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं अपने सोये मुकद्दर को
जगा लूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं स्वयं को मुजरिम होने
से बचा लूंगा , ये यकीं है मुझे
मैं अपनी तमन्नाओं , आरजुओं
का एक आसमां रोशन कर लूंगा , ये यकीं है मुझे
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