मुझे खुद से हैं बहुत सी
उम्मीदें
मुझे खुद से हैं बहुत सी
उम्मीदें
चरितार्थ करने ही होंगे
मुझे अपने सपने
मंजिल के चरम को छूना ही
होगा मुझको
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत
सी उम्मीदें
रोशन करना ही होगा अपना
आशियाँ मुझको
चीरकर अन्धकार को आगे बढना
ही होगा मुझको
अपने पंखों को एक खुला
आसमां देना ही होगा
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत
सी उम्मीदें
पानी ही होगी मंजिल अपने
प्रयासों के बूते
कोशिशों का एक समंदर सजाना
ही होगा मुझको
अपनी हर एक कोशिश को दिखानी
होगी सच की राह
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत
सी उम्मीदें
खुद को खुद का खैख्वाह
बनाना ही होगा मुझको
“ एकला चलो ” ये गीत
गुनगुनाना ही होगा मुझको
अपने सपनों का , अपनी
कोशिशों का एक महल सजाना ही होगा मुझको
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत
सी उम्मीदें
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