Thursday, 24 January 2019

पुरस्कार और पारितोषक, क्या मुझे प्रेरित करेंगे




पुरस्कार और पारितोषक

पुरस्कार और पारितोषक, क्या मुझे प्रेरित करेंगे
भ्रम और संदेह , क्या मेरी कोशिश में बाधा बनेंगे

तर्क और वितर्क से मेरे सपनों का नाता कैसा
लोभ  और तृष्णा , क्या मुझे पथ से विमुख करेंगे

मुझे तो बढ़ चलना है , कर्तव्य की राह पर
मुझे तो अग्रसर होना है , प्रयासों की अनुपम धरा पर

अनुभव और अनुभूति को कर लूंगा अपनी धरोहर
अंतःकरण को प्रेरित कर, बढ़ चलूँगा मंजिल शिखर पर

मेरे सुनियोजित प्रयासों को, जीत  - हार का भय कैसा
अपनी विवेक और ज्ञान को आत्मविश्वास से सींचकर

खुद  को पोषित करूंगा , उजाले की राह पर प्रस्थित होकर
प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थिति को भी अपने अनुकूल कर लूंगा

कटु और कठोर वाणी भी मुझे मेरे पथ से डिगा न सकेगी
दुश्चरित्र को अपनी योजना में सफल नहीं होने दूंगा

खुद के प्रयासों पर सब कुछ समर्पित करूंगा
रोशन कर कीर्ति पताका , मैं अग्रसर हो चलूँगा





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