Thursday, 24 January 2019

नवजीवन की ओर




नवजीवन की ओर
1.    
तरु से विलग होने की व्यथा
वह बूढ़ा पीला पत्ता
बखूबी जानता है
उसे आभास भी है
अपने पुनरागमन का
अपने पुनरुद्धार का
उसे मालूम है
तरु से विलग होकर ही
वह प्रस्थित हो सकता है
नवजीवन की ओर

2.    
उपहास, परिहास से परे
इच्छा और लालसा से दूर
अभिमान , अहंकार की बेड़ियाँ तोड़ते हुए
आधि, व्याधि से मुक्त जीवन की आशा में
कर्तव्य , अकर्तव्य के प्रपंच से दूर
गर्व और गौरव जैसे तुच्छ विषयों से
स्वयं को बचाते हुए
ग्लानि, लज्जा और संकोच से नाता तोड़ते हुए
चलो चलें कहीं दूर
नवजीवन की ओर, नवजीवन की ओर

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