अपनी साजिशों से कभी , किसी
को रुलाना नहीं
अपनी साजिशों से कभी , किसी
को रुलाना नहीं
किसी के आंसुओं पर , अपनी
खुशियों का आशियाँ सजाना नहीं
किसी के दामन को , अपनी
साजिशों से नापाक न करना
किसी को गम देकर , अपनी
खुशियों का आशियाँ सजाना नहीं
किसी के आँगन का चराग, अपनी
नापाक साजिशों से बुझाना नहीं
किसी के जनाजे पर , अपनी
खुशियों का आशियाँ सजाना नहीं
किसी की हसरतों को , अपनी
नापाक साजिशों से मिटाना नहीं
किसी के सुलगते दामन पर, अपनी
खुशियों का आशियाँ सजाना नहीं
चंद सिक्के देकर , किसी की
खुशियों को खरीदना नहीं
किसी को गम के पालने में
सुलाकर , अपनी खुशियों का आशियाँ सजाना नहीं
No comments:
Post a Comment