Thursday, 24 May 2018

चाँद तोड़ लायेंगे हम भी

चाँद तोड़ लायेंगे हम भी


चाँद तोड़ लायेंगे हम भी, हमें खुद प पर है यकीन
खुद को यूं ही , बुलंद नहीं किया हमने

खिलेंगे फूल मेरी राहों में भी , मुझे खुद पर है यकीन
यूं ही खुद पर , भरोसा नहीं किया हमने

उनकी स्याह रातों को , रोशन करेंगे हम एक दिन
यूं ही नहीं मुहब्बत से , सिल्रा नहीं लिया हमने

रोशन करेंगे हम भी , खुदा की इस कायनात को
खुद को उस खुदा की राह पर , यूं ही निसार नहीं किया हमने

खिला देंगे उनके गमगीन , चेहरे पर मुस्कान
इंसानियत की राह से, यूं ही रिश्ता नहीं बनाया हमने



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