मन की वीणा के तार सजाओ
मन की वीणा के तार सजाओ
मन को सुन्दर भवन बनाओ
मन की व्याकुलता को जानो
इसमें सुर सरिता के पुष्प खिलाओ
सुर सरिता के तार सजाओ.
मन को सुर संगीत से सजाओ
गीतों की एक माला पिरोकर
जीवन को सुर सरिता में बहाओ
गीतों का एक महल सजाओ
बीणा बादिनी का आसन सजाओ
जीवन का हर पल संगीतमय
पुण्य धरा पर पुष्प खिलाओ
सुर की देवी के चरणों में
पावन गीतों का शौग लगाओ
मन , अंतर्मन हो जाए पावन
संगीत का एक गुलशन सजाओ
मन हो पावन , तन हो पावन
सुर सरिता में हर पल नहाओ
जीवन का कण - कण हो जाए प्रफुल्लित
सुर सरिता की महफ़िल सजाओ
मन की वीणा के तार सजाओ
मन को सुन्दर भवन बनाओ
मन की व्याकुलता को जानो
इसमें प्रेम के पुष्प खिलाओ
No comments:
Post a Comment