Sunday, 2 July 2017

व्यंग्य - 5

व्यंग्य

संसद मैं सांसदों की थाली , कुछ है अजब निराली
कुछ सब्जियां जेब की , कुछ सब्सिडी वाली

नेता जनता से कहते हैं , सिलिंडर पर सब्सिडी छोड़ो
हमारे प्रिय नेताओं तुम भी हो सके तो .
अपनी थाली की सब्सिडी वाली सब्जियां छोड़ो

कुछ सब्जियां गरीबों की रसोई में , सीधे पहुँच जायेंगी
लगेगी कुछ गैस कम, महिलायें भी खुश हो जायेंगी

देश के विकास का ठीकरा , केवल गरीब जनता के सिर पर मत फोड़ो
हो सके तो प्रिय नेताओं , अपनी सुविधाओं से मोह छोड़ो

लैपटॉप बांटना छोड़ो , ये स्कूटी बांटना छोड़ो
बेरोजगारी भत्ता बांटना छोड़ो, ये साइकिल बांटना छोड़ो

'छोड़ना ही है तो ये विदेशों का दौरा .सपरिवार जाना छोड़ो
खुद को बना गाँधी , लाखों के सूट पहनना छोड़ो

मत बांटो भारत माँ को , अलग - अलग राज्यों के चक्रव्यूह में फंसा
कोई राज्य अलग नहीं , इनसे मिलकर तो भारत बना

अपनी कुर्सी की चाह मैं ,खुद को नीचे गिराना छोड़ो
चलो मिल बनाएं नया भारत, ये आपस में लड़ना छोड़ो

कुछ किसानों की सौचें , कुछ जवानों की सोचें
कुछ युवाओं का बेहतर कल सोचें , कुछ नारियों की सुरक्षा सोचें

कुछ गरीबों का भला सोचें , कुछ धर्मों का सिला सोचें
'उठ जातिवाद से ऊपर , इस देश का भला सोचें

अब समय आ गया है, सीमाओं की सुरक्षा सोचें
 जिहोने अपने बेटे गंवाएं हैं , उनका भी भला सोचें

कर दें नेस्तोनाबूत आतंक को इस धरती से , कुछ ऐसा सोचें
करें विस्तार संस्कार और संस्कृति का , कुछ ऐसा सोचें

मंदिर और मस्जिद एक ही जगह पर हों , कुछ ऐसा करें
सभी मनाएं ईद और दिवाली मिलकर , कुछ ऐसा करें

चलो करें दिलों को फिर से रोशन , कुछ ऐसा करें
फहरे तिरंगा फिर से विश्व पताका होकर, कुछ ऐसा करें

कुछ सब्जियां जेब की , कुछ सब्सिडी वाली
नेता जनता से कहते हैं , सिलिंडर पर सब्सिडी छोड़ो

हमारे प्रिय नेताओं तुम भी हो सके तो .
अपनी थाली की सब्सिडी वाली सब्जियां छोड़ो

कुछ सब्जियां गरीबों की रसोई में , सीधे पहुँच जायेंगी
लगेगी कुछ गैस कम, महिलायें भी खुश हो जायेंगी

देश के विकास का ठीकरा , केवल गरीब जनता के सिर पर मत फोड़ो
हो सके तो प्रिय नेताओं , अपनी सुविधाओं से मोह छोड़ो





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