Sunday 2 July 2017

व्यंग्य - 4

व्यंग्य

नोटबंदी मैं सारे हर नोट , गुलाबी हो गए
बाकी सारे नोट , कबाड़ हो गए

कीमत घट सही हैं. नोटों की दिन - ब - दिन
हजार के नोट अब, सौं के बराबर हो गए

गरीबों की थाली से व्यंजन , गायब हो गए
सपने गरीबों की आँखों से, ओझल हो गए

कीमत पहुँच रही आसमों पर, करें तो क्या करें
इस महेंगाई के दौर मैं, 7 पे कमीशन' के लाले हो गए.

नेताओं की तनख्वाह सवा लाख से, ढाई लाख हो गयी.
गरीबों के किचन पर अब, ताले हों गए

जीना हुआ मुहाल बताओ, करें तो क्या करें
नेताओं के सूट अब, लाखों के हो गए

कहते थे आयेंगे, जिन्दगी मैं अच्छे दिन
अच्छे दिनों के सपने, बस सपने हो गए

नोटबंदी में हे नोट, गुलाबी हो गए
बाकी सारे नोट , अब कबाड़ हो गए

कीमत घट सही हैं. नोटों की दिन - ब - दिन
हजार के नोट अब, सौं के बराबर हो गए

गरीबों की थाली से व्यंजन , गायब हो गए
सपने गरीबों की आँखों से, ओझल हो गए




No comments:

Post a Comment