Sunday, 2 July 2017

एक दूसरे के गम में - मुक्तक

१.

'एक दूसरे के गम में , हम साथ न थे कभी
दोस्ती का जाम . यूं ही पिये जा रहे हैं हम


२.


दुश्मनी का दंझ भर रहे हैं, जो कभी हुआ करते थे दोस्त
दोस्ती भी खूब निभाई , चलो अब दुश्मनी की बारी हैं


3.


खुद पर तू न इतरा खुद पर न तू गुमान कर
'फलक से फर्श पर आने में, वक़्त कहाँ लगता हैं

4.



अपनी कोशिशों के जोर से , खुद को फलक पर बिठा के देख
कोशिशों से मुंह फेरने वालों का, खुदा भी सगा नहीं होता



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